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आधुनिक युग में चिकित्सा की अनेक पद्धतियाँ प्रचलन में हैं। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य है—प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों का उचित उपयोग करके रोग का मूल कारण समाप्त करना। यह न केवल एक चिकित्सा-पद्धति है बल्कि मानव शरीर में विद्यमान आंतरिक महत्त्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्त्वों के अनुरूप एक जीवन-शैली भी है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजा फल और कच्ची व अधपकी सब्जियाँ विभिन्न बीमारियों की चिकित्सा में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। पुस्तक में विभिन्न बीमारियों के लक्षण, उनके पैदा होने के कारण आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। साथ-ही-साथ उनके प्राकृतिक उपचार भी उनके उपयोग की विधि सहित दिए गए हैं।
आशा है, सुधी पाठक विभिन्न तरह के आहार रोगों को समाप्त करने और स्वास्थ्य तथा जीवंतता बहाल करने में इससे भरपूर लाभ उठाएँगे।
डॉ. हरिकृष्ण बाखरू की एक प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ तथा बहुआयामी लेखक के रूप में देश भर में प्रतिष्ठा है। प्राकृतिक उपचार, स्वास्थ्य, पोषण और जड़ी-बूटियों पर उनके सुलिखित लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और वेब-साइटों पर नियमित रूप से नजर आते हैं।
न्यूरोपैथी में डिप्लोमा प्राप्त डॉ. बाखरू की सभी पुस्तकों को लोगों की व्यापक प्रशंसा प्राप्त हुई है और उनके कई-कई संस्करण हुए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय से इतिहास में प्रथम श्रेणी प्रथम स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त डॉ. बाखरू ने अपना कैरियर इंडियन रेलवे में सन् 1949 से शुरू किया। अक्तूबर 1984 में वे मुंबई में सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए।
डॉ. बाखरू ऑल इंडिया आल्टरनेटिव मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के एसोसिएट सदस्य और मुंबई में नेचर क्योर प्रैक्टिशनर्स गिल्ड के सदस्य हैं। वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में उनके समर्पण तथा उल्लेखनीय योगदान के कारण इंडियन बोर्ड ऑफ आल्टरनेटिव मेडिसिंस, कोलकाता ने उन्हें आहार-पद्धति में स्वर्ण पदक, ‘लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार’ और ‘जेम ऑफ आल्टरनेटिव मेडिसिंस पुरस्कार’ तथा नेचर क्योर प्रैक्टिशनर्स गिल्ड, मुंबई द्वारा ‘नेचर क्योर एप्रीशिएशन पुरस्कार’ प्राप्त हुए हैं।