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सृष्टि के निर्माण में देवी-देवताओं से लेकर जल, थल, वायु, अग्नि, सूर्य, चंद्रमा, धरती, आकाश, जीव-जंतु, पहाड़, जंगल, नदी और मानव; इन सभी के पीछे कहानी है। कहानी का रूप सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक सभी में विद्यमान है। गाँव से लेकर नगर तक, जंगल से लेकर वादियों-घाटियों तक सबका उद्भव कहानी से ही संबंधित है। वही कहानीकार सफल कहानीकार होता है, जिसकी दृष्टि पैनी होती है। जो दृष्टि से देखता है, बुद्धि से समझता है तथा उस पर अमल करके उसका स्वरूप गढ़ता है; वह कहानी बन जाती है। कहानी में भी संवेदनाओं व परिस्थितियों का समावेश रहता है। कहानीकार का हृदय बड़ा भावुक और कोमल होता है। वह घटनाओं को भाषा का कलेवर देते हुए आकर्षक बना देता है, जिससे कहानी में सौंदर्य के साथ-साथ सुख-दु:ख भी चित्रित हो जाता है। लेखक ने सरकारी विभाग में काम करते हुए सुख-दु:ख तथा समाज की विद्रूपताओं को नजदीक से देखा है।
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ कहीं पर हँसाती हैं, कहीं पर रुलाती हैं तो कहीं जीवन की गहराइयों को बेबाक उजागर करती हैं। बार-बार पढ़ने की उत्कंठा पैदा करने वाली मर्मस्पर्शी कहानियों का संग्रह।
जन्म : 1 जुलाई, 1944 को ग्राम रामजीपुर, पो. पुरुषोत्तमपुर, जनपद मीरजापुर (उ.प्र.) में।
शिक्षा : सिविल डिप्लोमा इंजीनियर।
कृतित्व : ‘गाँव कऽ बात’ (भोजपुरी कहानी-संग्रह), ‘मेरे गीत-मेरे विचार’, ‘लघु कथा संग्रह’ (प्रकाशन के क्रम में) तथा लघुकथा, कहानी, कविता, विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।