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"प्रिय पाठको,
मैं नाज़रीन अंसारी 'राफी' अपना पहला उपन्यास रूहानी मोहब्बत लेकर हाज़िर हुई हूँ। मैं इस पुस्तक में अपने नाम के साथ एक तखल्लुस (उपनाम) जोड़ रही हूँ। ख़ुदा के बनाए हुए सात आसमानों के अलग-अलग नाम हैं, उन्हीं में से एक आसमान का नाम है 'राफी'। 'राफी' का अर्थ होता है पानी जैसा। मुझे 'राफी' नाम बहुत अच्छा लगा, क्योंकि यह नाम मेरी माँ के नाम से मिलता- जुलता है। मेरी माँ का नाम श्रीमती रफ़ीकुन निसा है, इसलिए मैंने अपने नाम के साथ यह तखल्लुस जोड़ा है।
इससे पहले मेरी चार पुस्तकें आप सबके समक्ष आ चुकी हैं। उन चारों पुस्तकों में मैंने अपने एहसास, जज्बात, तजुर्बे और यादों को सजाया है। यह पुस्तक उपन्यास के रूप में मेरे द्वारा रचित पहली काल्पनिक कहानी है। किसी की ख़्वाहिश, किसी की चाहत, किसी की रूह से जुड़ने की आरजू, किसी की ज़िदादिली की दास्ताँ, यही जज़्बात पुस्तक की कहानी को आगे ले जाती है।
इस पुस्तक में मैंने बहुत सारी नज़्म व ग़ज़ल भी लिखी हैं, जो इस उपन्यास को और खूबसूरत बनाती हैं। तीन सहेलियों की यह कहानी मेरी जुबानी महसूस करिए और मेरे लफ़्ज़ों की ख़ुशबू से अपनी रूह को भिगो लीजिए। दोस्ती और मोहब्बत के एहसासों की ताज़गी व मोहब्बत की पाकीज़गी (पवित्रता) महसूस कीजिए। रूहानी मोहब्बत की चाहत लिये हुए मेरे उपन्यास की एक किरदार किन-किन कसौटियों से गुज़रती है, क्या उसकी रूहानी मोहब्बत पाने की ख़्वाहिश पूरी होती है? क्या वह अपनी मुश्किलों से लड़ पाती है, क्या आज की इस आधुनिक दुनिया में उसे रूहानी मोहब्बत मिलेगी ? रूहानी मोहब्बत, जो सिर्फ़ दिल से नहीं, हमारी रूह से जुड़ी होती है, ऐसी पाक मोहब्बत की जुस्तजू में क्या उसकी मुहब्बत मुकम्मल हो पाएगी या लाखों दास्ताँ की तरह अधूरी रह जाएगी।
आइए, इस कहानी की रवानी में मेरे साथ बह चलिए और इसकी मंजिल पर पहुँचिए। मेरे जानिब (द्वारा) लिखे गए उपन्यास की कहानी और नज़्म व ग़ज़ल आपको कैसी लगी, पढ़कर मुझे ज़रूर बताइएगा। इसके बाद मैं अपनी दूसरी कहानी के साथ आप सबसे जल्द ही जुड़ने की कोशिश करूँगी और उम्मीद करती हूँ कि मेरी लिखी इस कहानी को आप ज़रूर पढ़ेंगे और अपने प्यार एवं दुआओं से आगे लिखने के लिए मुझे प्रेरित करते रहेंगे।
धन्यवाद !"