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‘‘कई साल पहले इस अद्भुत परंपरा को दलबदलू परंपरा का नाम दिया जाता था। आज इसे एक सम्मानजनक नाम—‘घोड़ों की खरीद-फरोख्त’ के नाम से जाना जाता है। ऐसे घोड़ो को ‘चुनावी मौसम विज्ञान विशेषज्ञ’ का नाम भी दिया जाता है। हमारे घोडे़ कोई मामूली नहीं जो औने-पौने में बिक जाएँ। ये तो अरबी नस्ल से भी उम्दा घोडे़ हैं और बेशकीमती भी। औने-पौने भाव पर ये बिकते नहीं, बिदकते हैं।’’
—इसी पुस्तक से
सरकारी विभाग पर व्यंग्य लिखना बहुत आम बात है, मगर सरकारी अधिकारी द्वारा व्यंग्य लिखना आम नहीं है। लेखिका अपने समय को बारीकी से विश्लेषित करने में प्रयत्नशील हैं ताकि मानव समाज की बेहतरी के लिए साहित्य के माध्यम से विषमताओं पर प्रहार किया जाए। आज के समय में न्याय और सामयिक व्यवस्था से ऐसे सवाल करना बहुत कठिन है। विषय वैविध्य, व्यापक, प्रखर एवं सामाजिक सरोकारों से युक्त सकारात्मक सोच के साथ लेखिका स्वतंत्रचेता सृजनधर्मी के रूप में सिर्फ सरकारी क्षेत्र पर नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन के प्रायः हर क्षेत्र— उद्योग-धंधों, पत्रकारिता और आम जन-जीवन में व्याप्त विसंगतियों से मुठभेड़ करती हैं।
प्रधान आयकर आयुक्त, नई दिल्ली (भारतीय राजस्व सेवा, 1989 बैच)
जन्म : 1963, मुजफ्फरपुर।
नेशनल पुलिस एकेडमी, हैदराबाद तथा नेशनल एकेडमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, नागपुर से सिविल सेवा प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु सम्मानित। विभाग द्वारा राजभाषा सम्मान एवं राजभाषा शील्ड से सम्मानित। आई.आई.एम., अहमदाबाद से उच्चाधिकारी का प्रशिक्षण। आई.एम.एफ.-साउथ एशिया रीजनल ट्रेनिंग ऐंड टेक्निकल असिस्टेंस सेंटर, नई दिल्ली से प्रशिक्षण।
कृतित्व : आर्थिक, विधिक, सामाजिक एवं साहित्यिक रचनाओं का प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। अनेक शोध-पत्र भी प्रकाशित। अनेक सेमिनारों में सहभागिता।
रचना-संसार : हिंदी काव्य-संग्रह ‘देशराग’ से ‘राजस्व-गीत’ की संगीतबद्ध सी.डी. आयकर विभाग के 157वें वार्षिकोत्सव पर विमोचित की गई। चित्रों की दो एकल प्रदर्शनियाँ गुवाहाटी में आयोजित, जिन्हें खूब सराहना मिली। इनके तैल-चित्र, जल-चित्र तथा डिजिटल-चित्रों के संग्रह तथा अंग्रेजी कविता-संग्रह ‘द टाइड’ एमेजॉन सहित विश्व की 45 वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। हिंदी लेख-व्यंग्य-कहानी संग्रह—‘परिष्कृत और सुखी वातावरण’। ‘21वीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार’ में व्यंग्य संकलित।