₹400
विश्व भर के कहानी-जगत् में रूसी कहानीकारों का एक विशिष्ट स्थान है । गोर्की, चेखव, टॉलस्टॉय आदि तो रूस के शीर्षस्थ कथा-शिल्पी हैं । इनके अतिरिक्त भी वहाँ ऐसे अनेक कहानीकार हुए हैं जिनकी कहानियों ने विश्व भर के पाठकों के मानस पर अमिट छाप छोड़ी है । हालाँकि हाल के वर्षों में विदेशी साहिल। के अनुवाद के क्षेत्र में न्यूनाधिक कार्य हुए हैं, फिर भी करोड़ों हिंदीभाषी पाठक कई प्रमुख रूसी कहानीकारों की कहानियों, जो रूसी भाषा की चर्चित और प्रसिद्ध कहानियों रही हैं, के पठन-सुख से अब तक वंचित रहे हैं ।
यह पुस्तक उस अभाव को अवश्य दूर करेगी । इसमें संगृहीत कहानियों के चयन व अनुवाद में विशेष सावधानी बरती गई है । ये सभी कहानियों रूसी समाज और संस्कृति को प्रतिबिंबित तो करती ही हैं, हिंदी पाठकों को तृप्त भी करती हैं । प्रबुद्ध पाठक तथा शोधकता तो शायद एक ही बैठक में इस पूरी पुस्तक को पढ़ डालें ।
भद्रसैन पुरी का जन्म पंजाब के एक प्रतिष्ठित परिवार में 2 सितंबर, 1916 को सुलतानपुर लोधी (कपूरथला) में हुआ । डी. ए. वी. मिडिल स्कूल, रावलपिंडी (1923 - 30), रामजस हाई स्कृल नं 3, दिल्ली ( 1930 - 33) तथा हिंदू कॉलेज, दिल्ली ( 1933 - 37) में शिक्षा पाप्त की ।
1981 से 1987 तक सुपर बाजार पत्रिका, दिल्ली का अवैतनिक संपादन किया । तांत्रिक योग के रहस्यों को जानने के लिए 1987 - 88 में संपूर्ण भारत का भ्रमण किया ।
श्री पुरी एक मँजे हुए आइ भनेता, निर्देशक एवं नाटककार हैं । वर्तमान में मसिक पत्रिका ' वैदिक प्रेरणा ' का अवैतनिक संपादन कर रहे हैं ।
आपके द्वारा अनुवादित ' मोपासाँ की श्रेष्ठ कहानियाँ '. ' सोमरसेट मर्मि की चुनिंदा कहानियाँ ', ' ओ. हेनरी की रोचक कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि जर्मन कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि रूसी कहानियाँ'. ' प्रतिनिधि यूरोपीय देशों की कहानियाँ ' तथा ' स्पेन एवं इंग्लैंड की प्रतिनिधि कहानियाँ ' प्रकाशित हो चुकी हैं । इनकी अपनी कहानियाँ, एकांकी, संस्मरण, दर्शन परिचय तथा रत्न चिकित्सा भी शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहो हैं ।