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Sabhyataon ke Sangharsh Mein Bharat Kahan   

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Author Devendra Swaroop
Features
  • ISBN : 9789351863229
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Devendra Swaroop
  • 9789351863229
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 264
  • Hard Cover

Description

अमरीकी विचारक सेमुअल हंटिंग्टन के अनुसार वर्तमान घटनाचक्र ‘इसलाम और पश्चिम’ के बीच ‘सभ्यताओं के संघर्ष’ का सूत्रपात है। हालाँकि हंटिंग्टन से बहुत पहले, पिछली शताब्दी की शुरुआत में ही भारतीय मनीषी बिपिनचंद्र पाल ने यह देख लिया था कि विश्व में तीन वैश्विक गुट उभरेंगे। पहला होगा विश्व इसलामवाद का। दूसरा चीन के नेतृत्व में मंगोल नस्ल के देशों का। और तीसरा यूरोपीय ईसाई देशों का। पश्चिम तो अमरीका के नेतृत्व में एकजुट होकर एक शिविर में खड़ा नजर आ रहा है। मुसलिम विश्व अभी तक एक नेतृत्व में खड़ा नहीं हो पाया है। इन दोनों मोरचों के बीच एक तीसरा वर्ग है, जो संघर्ष की संभावनाओं को टालने के लिए प्रयासरत है। पर वोटबैंक राजनीति का बंदी बन चुका भारतीय नेतृत्व बिखराव का शिकार है। वह इसलामी आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी बहस में एक मुखर आवाज बनकर सामने नहीं आना चाहता। जबकि विश्व की नियति उसे इसलामी आतंकवाद के विरुद्ध ध्रुवीकरण की ओर धकेल रही है।

The Author

Devendra Swaroop

जन्म 30 मार्च, 1926 को कस्बा कांठ (मुरादाबाद) उ.प्र. में। सन. 1947 में काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय से बी.एस-सी. पास करके सन् 1960 तक राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता। सन् 1961 में लखनऊ विश्‍वविद्यालय से एम. ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास) में प्रथम श्रेणी, प्रथम स्‍थान। सन् 1961-1964 तक शोधकार्य। सन् 1964 से 1991 तक दिल्ली विश्‍वविद्यालय के पी.जी.डी.ए.वी. कॉलेज में इतिहास का अध्यापन। रीडर पद से सेवानिवृत्त। सन् 1985-1990 तक राष्‍ट्रीय अभिलेखागार में ब्रिटिश नीति के विभिन्न पक्षों का गहन अध्ययन। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद‍् के ‘ब्रिटिश जनगणना नीति (1871-1941) का दस्तावेजीकरण’ प्रकल्प के मानद निदेशक। सन् 1942 के भारत छोड़ाा आंदोलन में विद्यालय से छह मास का निष्कासन। सन् 1948 में गाजीपुर जेल और आपातकाल में तिहाड़ जेल में बंदीवास। सन् 1980 से 1994 तक दीनदयाल शोध संस्‍थान के निदेशक व उपाध्यक्ष। सन् 1948 में ‘चेतना’ साप्‍ताहिक, वाराणसी में पत्रकारिता का सफर शुरू। सन् 1958 से ‘पाञ्चजन्य’ साप्‍ताहिक से सह संपादक, संपादक और स्तंभ लेखक के नाते संबद्ध। सन् 1960 -63 में दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ लखनऊ में उप संपादक। त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘मंथन’ (अंग्रेजी और हिंदी का संपादन)।

विगत पचास वर्षों में पंद्रह सौ से अधिक लेखों का प्रकाशन। अनेक संगोष्‍ठ‌ियों में शोध-पत्रों की प्रस्तुति। ‘संघ : बीज से वृक्ष’, ‘संघ : राजनीति और मीडिया’, ‘जातिविहीन समाज का सपना’, ‘अयोध्या का सच’ और ‘चिरंतन सोमनाथ’ पुस्तकों का लेखन।

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