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इसे आप दर्शन की एक और पुस्तक न गिन लेना। महान् रूसी उपन्यासकार और सत्य के प्रखर साधक लियो टॉल्सटॉय की 25 वर्षों की साधना का यह फल है। इस पुस्तक में विश्व के समस्त धर्मों का सार है। इसमें सर्वोत्तम चिंतकों के श्रेष्ठतम विचार हैं और सैकड़ों महान् कृतियों का बहुमूल्य अर्क है। कल्पना कीजिए कि टॉल्सटॉय हमें वर्ष के 366 दिन, प्रतिदिन किसी विषय पर सदियों का सयानापन परोसते हैं! क्या इससे बढ़कर हमारा कोई और सद्भाग्य हो सकता है?
‘‘मैं आशा करता हूँ कि इस पुस्तक के वाचक वैसी कल्याणकारी एवं प्रेरणादायी भावना का अनुभव कर सकेंगे, जैसी मैंने इस पुस्तक की सृजन वेला में काम करते समय अनुभव की थी और जिसे मैं प्रतिदिन पढ़ते समय पुनः-पुनः अनुभव करता हूँ।’’
—ऌलियो टॉल्सटॉय
लेखक संजीव शाह, ओएसिस सेल्फ डेवलपमेंट के प्रशिक्षक हैं। मात्र 25 वर्ष की आयु में अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर संजीव ने मेकैनिकल इंजीनियर के अपने पेशे को छोड़ा और उन सैकड़ों युवाओं का नेतृत्व किया, जो अपने तथा समाज के विकास में योगदान करना चाहते थे। इसका परिणाम ‘ओएसिस’ नाम के युवाओं के एक संगठन के रूप में सामने आया, जिसका गठन 1989 में किया गया।
आगे चलकर, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त युवाओं का नेतृत्व करने वाले और सामाजिक कार्यकर्ता से वे एक लेखक तथा अनेक सीईओ, परिवारों, समुदायों और संगठनों को पेशेवर सलाह देने वाले की भूमिका में आए। उनके प्रबंधन में, ‘ओएसिस वैली’ नाम का एक अनोखा संस्थान वडोदरा के करीब बनाया गया है, जो चरित्र निर्माण के प्रति समर्पित अपनी तरह का पहला एकमात्र संस्थान है।
उन्होंने 65 से अधिक पुस्तकों और बुकलेट की रचना की है, जिनकी 10 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी है। इस विशिष्ट उपलब्धि ने वैज्ञानिक स्वयं-सहायता की पीढ़ी के बीच उन्हें इस क्षेत्र का सबसे सम्मानित और सर्वाधिक लोकप्रिय समसामयिक लेखक बना दिया है।