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सन् 2020 तक भारत को विकासशील से विकसित बनाने का स्वप्न तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक देश से गरीबी एवं बेरोजगारी दूर नहीं होती। इसे दूर करने का एकमात्र उपाय है, पूरे देश में छोटे-बड़े उद्योगों का जाल बिछाना। देशवासियों को उद्योगों की स्थापना के लिए प्रेरित करने हेतु ‘सफल बिजनेसमैन कैसे बनें’ पुस्तक निश्चित रूप से सहायक सिद्ध होगी। सफल बिजनेसमैन बनने के लिए जितने सहायक सूत्र हैं, अलग-अलग अध्यायों में सब पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। भारत के उद्यमियों के लिए भारतीय परिवेश में लिखी गई यह पुस्तक अधिक उपयोगी एवं सार्थक होगी। इस पुस्तक के लेखन का ध्येय केवल उद्योग जगत् के लोगों को सफल बिजनेसमैन बनने का संदेश भर देना नहीं है। वकील, डॉक्टर, इंजीनियर या अन्य किसी दूसरे व्यवसाय के व्यक्ति भी यदि इस पुस्तक के सूत्रों को अपना लें तो उनका अपने पेशे में सफल होना निश्चित है। उद्यमशीलता और कर्मठता का संदेश देती सकारात्मक भाव जाग्रत् करानेवाली पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम
यह पुस्तक क्यों? —Pgs 5
आभार —Pgs 11
आशीर्वचन —Pgs 13
1. सफल बिजनेसमैन बनें तो कैसे? —Pgs 17
2. प्रबंधन —Pgs 24
3. गरीब कौन? —Pgs 29
4. व्यक्तित्व का विकास कैसे करें? —Pgs 33
5. बिजनेसमैन असफल कब होता है? —Pgs 40
6. संकल्पशक्ति —Pgs 46
7. जागरूकता —Pgs 49
8. सफल बिजनेसमैन और शिक्षा —Pgs 51
9. विपणन या विक्रय-कला —Pgs 55
10. हड़ताल से बचें —Pgs 61
11. सफल बिजनेसमैन बनने के अठारह सूत्र —Pgs 65
12. सफल बिजनेसमैन बनने के लिए हँसें और स्वस्थ रहें —Pgs 71
13. दांपत्य जीवन का प्रभाव —Pgs 76
14. कर्म पर भरोसा करें या भाग्य पर —Pgs 81
15. महान् उद्योेगपति घनश्यामदास बिड़ला —Pgs 86
16. घनश्यामदास बिड़ला के सफलता के सूत्र —Pgs 93
17. रामप्रसादजी से साक्षात्कार —Pgs 98
18. धीरूभाई अंबानी : कॉरपोरेट जगत् के महाबली —Pgs 102
19. अध्यात्म-जगत् के सफल बिजनेसमैन सेठ जयदयाल गोयनका —Pgs 109
20. प्रामाणिकता के प्रतीक हल्दीराम के मनोहरलाल अग्रवाल —Pgs 118
21. मेहरा परिवार की सफल गाथा —Pgs 121
22. मेरी सफलता का राज —Pgs 128
23. कर्म-भाग्य एवं प्रभुकृपा —Pgs 134
24. मंथन —Pgs 140
25. भीष्म के नीतिगत उपदेश —Pgs 144
26. चाणक्य : जीवन एवं नीति —Pgs 148
27. महावाक्य : जिन्होंने देशवासियों में जान फूँक दी —Pgs 153
28. चिंता और चिंतन —Pgs 157
29. सफल व्यक्ति बनने के लिए कुछ प्रभावी सूत्र —Pgs 162
दीनानाथ झुनझुनवाला
जन्म:22 जनवरी, 1934 को भागलपुर (बिहार) में।
शिक्षा:औद्योगिक रसायन में स्नातक (काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी)।
कृतित्व:'अमृत कलश', 'हास्य कलश', 'प्रेरक चरित्र', 'आपका स्वास्थ्य आपके हाथ', प्रेरक प्रसंग, 'सफल उद्यमी कैसे बनें', 'जीवन के सूत्र', 'वचनामृत', 'वृद्धावस्था की समस्या एवं समाधान', 'इंद्रधनुष' तथा 'प्रेरणास्रोत' कृतियाँ प्रकाशित।
इसके अलावा चार दशकों से पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर सतत लेखन। आकाशवाणी, दूरदर्शन, विश्वविद्यालय, विद्यालय एवं सभाओं में सामयिक विषयों पर वार्त्ता। विभिन्न सभा-सोसाइटियों, औद्योगिक संगठनों में सक्रिय सहयोग एवं सामाजिक कार्यों में क्रियाशील।