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एक कुशल मैनेजर का काम किसी भी कार्य को व्यवस्थित ढंग से पूर्णता की परिणति तक पहुँचाना तथा उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम उपयोग करते हुए अधिकाधिक उत्पाद तैयार कराना है।
एक अच्छे और सफल मैनेजर में अपने काम में निरंतर निखार तथा नई-नई प्रणालियाँ लागू करने की ललक होनी चाहिए। उसमें योग्यता और प्रतिभा के साथ-साथ धैर्य, संयम, सहन-शक्ति, वाक्चातुर्य, प्रत्युत्पन्नमति तथा दूरदर्शिता जैसे गुण भी होने चाहिए, ताकि विपरीत परिस्थितियों में भी वह उद्यमशीलता का परिचय देते हुए संस्थान की उत्तरोत्तर उन्नति कर सके।
लेखक स्वयं भारत की एक बड़ी कंपनी में लगभग चालीस वर्षों तक सफल मैनेजर रहे हैं। उन्होंने अपने उन्हीं अनुभवों को यहाँ प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत पुस्तक में एक मैनेजर के उत्तरदायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहण करने के कुछ सूत्र सँजोए गए हैं, जैसे—एक मैनेजर को दूसरों की गलतियों को नजरअंदाज करना चाहिए, उसमें क्षमाशीलता होनी चाहिए तथा अपने साथियों पर विश्वास और भरोसा होना चाहिए।
सुधी पाठक इस पुस्तक को अपनी यात्रा के दौरान, सोने से पूर्व, नाश्ते की मेज पर—कभी भी पढ़ें, बल्कि इसे अपने दैनिक कार्यों में शामिल करें तो निश्चय ही एक सफल मैनेजर बनकर सफलता के सोपान चढ़ते जाएँगे।
व्यक्तित्व विकास एवं व्यवहार-प्रबंधन की पुस्तकों के सुपरिचित लेखक हैं। अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा से एम.बी.ए. करने के उपरांत वे तैंतीस वर्ष तक भारत के प्रमुख उद्योग समूह ‘एस्कॉर्ट्स’ से संबद्ध रहे और अनेक उच्च पदों पर आसीन रहे। हिंदी-अंग्रेजी में मानव-व्यवहार से संबंधित उनकी 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनकी 10 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। देश-विदेश में व्यवहार-प्रबंधन पर 1 हजार से अधिक सेमिनारों का आयोजन भी कर चुके हैं।