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पैगंबर साहब शांति व अहिंसा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने शांति को सबसे बड़ी अच्छाई के रूप में स्थापित किया और इस बात पर बल दिया कि इसके लिए सभी प्रकार की नकारात्मक सोच को दूर करना तथा प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे दोस्त के रूप में देखना आवश्यक है। यही इसलामी शिक्षा का सार है।
इसलाम शांति को सर्वोच्च स्थान देता है। मौलाना वहीदुद्दीन खान के ये लेख इसलाम की सच्चाई को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का उपक्रम हैं।
इस संसार में जहाँ संस्कृतियों, धर्मों तथा जातियों की बहुलता लोगों के जीवन को समृद्ध बनाती है, वहीं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही जीवन का एकमात्र तरीका है। फिर भी, आज हम अपने आसपास जो कुछ देखते हैं, वह इसके एकदम विपरीत है। आत्ममंथन के अभाव के साथ ही धर्मों की गलत व्याख्या युवकों को गुमराह कर रही है।
जीवन के इन छोटे-छोटे अनुभवों के माध्यम से मौलाना वहीदुद्दीन खान एक सौहार्दपूर्ण व शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण में योगदान कर रहे हैं, जो किसी भी समाज की सफलता के लिए सबसे अनिवार्य आवश्यकता है।
देश-समाज के प्रति सरोकार रखनेवाले हर चिंतनशील व्यक्ति के लिए एक पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम | 42. रचनात्मक तरीका —Pgs. 100 |
प्रस्तावना —Pgs. 5 | 43. अभिवादन या जिम्मेदारी —Pgs. 101 |
बहु पत्नीवाद —Pgs. 21 | 44. डायरी साथ रखिए —Pgs. 102 |
प्राकृतिक कानून अर्थात् सबसे बड़ी कचहरी —Pgs. 22 | 45. प्रगति के अवसर —Pgs. 103 |
1. सबसे ज्यादा कामयाब —Pgs. 22 | 46. भविष्य को जानिए —Pgs. 104 |
2. प्रकृति से सामंजस्य —Pgs. 23 | 47. कामयाब फॉर्मूला —Pgs. 105 |
3. प्रशिक्षण का दौर —Pgs. 24 | 48. एक मिसाल —Pgs. 106 |
4. सही शिक्षा लीजिए —Pgs. 24 | इसमें सबक है —Pgs. 108 |
5. लाभदायक बनें —Pgs. 25 | सफलता का खुला खजाना —Pgs. 111 |
6. विनम्रता का स्वभाव —Pgs. 26 | 1. ज्ञान का महत्त्व —Pgs. 111 |
7. जीवन की दौड़ —Pgs. 27 | 2. मुहब्बत जगत् विजेता —Pgs. 112 |
8. हर तरफ शिक्षा —Pgs. 27 | 3. सूझ-बूझ —Pgs. 113 |
9. प्रकृति का इशारा —Pgs. 28 | 4. शाम के बाद सुबह —Pgs. 114 |
10. प्राकृतिक कानून —Pgs. 29 | 5. नादानी और अक्लमंदी —Pgs. 115 |
11. चैलेंज, न कि बदला —Pgs. 30 | 6. नाकामी नहीं —Pgs. 116 |
12. दूसरों की परवाह —Pgs. 31 | 7. अपने ऊपर विजय —Pgs. 117 |
13. रुत आए फल होय —Pgs. 32 | 8. व्यापारिक सूझ-बूझ —Pgs. 117 |
14. प्रकृति का पाठ —Pgs. 33 | 9. अनावश्यक टकराव —Pgs. 118 |
15. हकीकत का बयान —Pgs. 34 | 10. चेतना का परिष्कार —Pgs. 119 |
16. टॉलरेंस : प्रकृति का उसूल —Pgs. 34 | 11. उच्च मकसद —Pgs. 120 |
17. हिकमत का सवाल —Pgs. 35 | 12. दो प्रकार के आदमी —Pgs. 121 |
18. हकीकतपसंदी —Pgs. 36 | 13. ज्ञान और क्रिया एक हो —Pgs. 122 |
19. मानव प्रकृति —Pgs. 37 | 14. एक कहावत —Pgs. 123 |
20. विरोध —Pgs. 38 | 15. सौ वर्ष —Pgs. 124 |
21. खामोशी —Pgs. 39 | 16. धैर्य को अपनाओ —Pgs. 125 |
22. बरबादी की शुरुआत —Pgs. 40 | 17. किसी का बुरा न चाहो —Pgs. 126 |
23. पौधे का उदाहरण —Pgs. 40 | 18. जीवन का मामला —Pgs. 127 |
24. नया सवेरा —Pgs. 41 | 19. यह मनुष्य —Pgs. 127 |
25. कमजोर निर्माण —Pgs. 42 | 20. दो तरीके —Pgs. 128 |
26. हार के बाद जीत —Pgs. 43 | 21. बदले का हासिल कुछ नहीं —Pgs. 129 |
27. अंत नहीं —Pgs. 44 | 22. उत्साह अमर धन —Pgs. 130 |
28. धैर्य बहादुरी है —Pgs. 45 | 23. बड़ा दिल —Pgs. 131 |
29. एक हकीकत —Pgs. 46 | 24. कल और आज —Pgs. 132 |
30. सुबह की प्रतीक्षा —Pgs. 47 | 25. अगला वाक्य —Pgs. 133 |
31. किताब की दुनिया —Pgs. 48 | 26. समस्याएँ और अवसर —Pgs. 133 |
32. शुरुआत और अंत —Pgs. 49 | 27. गिरकर उठना —Pgs. 134 |
33. भविष्य को देखिए —Pgs. 49 | 28. विलंब न कि नाकामी —Pgs. 135 |
34. परेशानियाँ सीढ़ी हैं —Pgs. 50 | 29. हार को स्वीकारना —Pgs. 136 |
35. अपनी पहचान —Pgs. 51 | 30. बूस्टर का रोल —Pgs. 137 |
36. दृढता —Pgs. 52 | 31. सूझ-बूझ का तरीका —Pgs. 138 |
37. दो प्रकार के मनुष्य —Pgs. 53 | 32. संचार स्थल —Pgs. 139 |
38. सबसे मुश्किल, सबसे आसान —Pgs. 54 | 33. सावधान रहिए —Pgs. 139 |
39. नुकसान में फायदा —Pgs. 55 | 34. कानून-अष्टक —Pgs. 140 |
40. राहें बंद नहीं —Pgs. 56 | 35. पानी के साथ तूफान —Pgs. 141 |
41. जीवन का संघर्ष —Pgs. 56 | 36. कामयाबी का अवसर —Pgs. 142 |
42. सुरक्षित दूरी —Pgs. 57 | 37. दस कथन —Pgs. 143 |
43. संतुलन बनाए रखिए —Pgs. 58 | 38. कामयाबी : फिफ्टी-फिफ्टी का मामला —Pgs. 144 |
44. अधिकार के अनुसार —Pgs. 59 | 39. मुसलमान झूठे नेताओं से आजाद होना चाहते हैं —Pgs. 145 |
45. संपूर्ण विनाश —Pgs. 60 | 40. भारत के मुसलमानों को इस देश की व्यवस्था में रहना नहीं आता —Pgs. 146 |
46. नैतिक पतन —Pgs. 61 | 41. इसलाम क्या कहता है? —Pgs. 147 |
मुँह बोलती घटनाएँ और देखी-सुनी दुनिया —Pgs. 62 | 42. संतुलन रहे, तो दंगे टल सकते हैं —Pgs. 147 |
1. आपका परिचय —Pgs. 62 | 43. सांप्रदायिक दूरी —Pgs. 149 |
2. प्रगति का रहस्य —Pgs. 63 | 44. मुसलिम पत्रकारिता—फसाद का कारखाना —Pgs. 150 |
3. रिस्क लीजिए —Pgs. 64 | 45. मुसलमानों के दुश्मन की नेक सलाह —Pgs. 151 |
4. शहर का निर्माण —Pgs. 65 | 46. अंग्रेजी मजहब का जहर अभी बाकी है —Pgs. 152 |
5. पच्चीस साल —Pgs. 66 | 47. पाशविक नैतिकता —Pgs. 154 |
6. मनुष्य की कहानी —Pgs. 67 | 48. कराची से भागलपुर तक दंगों की वजह —Pgs. 155 |
7. प्रगति की सीढ़ी —Pgs. 68 | 49. मुसलमानों के लिए एक बड़ा सबक —Pgs. 156 |
8. निराशा नहीं —Pgs. 69 | 50. गुमशुदगी —Pgs. 157 |
9. मुकाबले का महत्त्व —Pgs. 70 | 51. शक यकीन में बदला —Pgs. 157 |
10. कमजोर भी ताकतवर —Pgs. 70 | 52. भावभीनी विदाई —Pgs. 159 |
11. प्रतीक्षा का खाना —Pgs. 71 | 53. पाकिस्तानी हिंदुओं की गौरवशाली मिसाल —Pgs. 159 |
12. चयन की कसौटी —Pgs. 72 | 54. मजहबी दीवानगी से बचने का आसान उपाय —Pgs. 161 |
13. सीखने का स्वभाव —Pgs. 73 | 55. बेबसी की झुँझलाहट —Pgs. 161 |
14. ऐतिहासिक मोड़ पर —Pgs. 74 | 56. मजहबी निशान की जिद —Pgs. 163 |
15. स्वयं की जिम्मेदारी —Pgs. 75 | 57. सिर्फ नाम का फर्क है, बात तो वही है —Pgs. 163 |
16. एक वैज्ञानिक —Pgs. 75 | 58. यह इसलाम नहीं —Pgs. 165 |
17. एकता या भीड़ —Pgs. 76 | 59. औरंगजेब को हराओ, ताकि इसलाम बचे —Pgs. 166 |
18. कामयाबी की शर्त —Pgs. 77 | 60. सर सैयद क्यों रोए थे —Pgs. 178 |
19. एक अंतर —Pgs. 78 | 61. कायदे-असगर जिन्ना की कमअक्ली का नतीजा —Pgs. 180 |
20. स्वाभाविक जीवन —Pgs. 79 | 62. तालमेल बुजदिली नहीं —Pgs. 182 |
21. आत्मविश्वास —Pgs. 80 | 63. ...लेकिन दूसरा दरवाजा तो खुला है —Pgs. 183 |
22. शराफत की ताकत —Pgs. 81 | 64. तरक्की का राज —Pgs. 184 |
23. भविष्य को जानें —Pgs. 82 | 65. जो अमेरिका में संभव है, यहाँ क्यों नहीं? —Pgs. 185 |
24. सुरक्षित जीवन —Pgs. 82 | 66. झगड़े की असली जड़ —Pgs. 186 |
25. अनदेखी शंकाएँ —Pgs. 83 | 67. हिंदुओं ने मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया —Pgs. 187 |
26. दूसरा चांस —Pgs. 84 | 68. हिंदू अयोध्या पर रुकें, मुसलमान अयोध्या भुला दें —Pgs. 193 |
27. अतीत और वर्तमान —Pgs. 85 | 69. तुलनात्मक अध्ययन करें —Pgs. 193 |
28. एक घटना —Pgs. 86 | 70. वर्तमान घटनाक्रम अस्थायी है —Pgs. 194 |
29. सेवा में इज्जत —Pgs. 88 | 71. हिंदु-मुसलिम मिलकर रहें —Pgs. 195 |
30. जीत का रहस्य —Pgs. 89 | 72. मुसलमानों को हिंदुओं की देन —Pgs. 195 |
31. संतोष कीजिए —Pgs. 89 | 73. कश्मीर में इस समय आतंकवादियों का निजामे शैतान है —Pgs. 196 |
32. विमुखता का फायदा —Pgs. 90 | 74. हिंदुओं के अहंकार को मत जगाओ! —Pgs. 197 |
33. आत्महत्या की छलाँग —Pgs. 91 | 75. फैसला इसलाम विरोधी नहीं —Pgs. 199 |
34. एक दिन —Pgs. 92 | 76. इसलाम की कसौटी कुरान है, मुसलमान नहीं —Pgs. 200 |
35. कमाल पैदा कीजिए —Pgs. 93 | 77. जो पड़ोसी को परेशान करे, वह मुसलमान नहीं —Pgs. 201 |
36. ईश्वर का कानून —Pgs. 94 | 78. हजरे अस्वद को चूमना बुतपरस्ती नहीं है —Pgs. 202 |
37. समस्याओं पर धैर्य रखें —Pgs. 95 | 79. लादेन का ‘जिहाद’ गैर-इसलामी —Pgs. 204 |
38. धैर्य का करिश्मा —Pgs. 96 | 80. वार्त्ता से हो सकती है दोनों की जीत —Pgs. 209 |
39. आग ठंडी हो गई —Pgs. 97 | 81. आतंकवाद से सबसे ज्यादा नुकसान मुसलिम समाज को हुआ —Pgs. 210 |
40. तीन मिनट —Pgs. 98 | 82. सबने कहा—संवाद और परस्पर सम्मान जरूरी —Pgs. 212 |
41. दो खबरें —Pgs. 99 |
मौलाना वहीदुद्दीन खान
इसलामी आध्यात्मिक विद्वान् हैं। विश्वशांति के प्रति अपने योगदानों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात मौलाना वहीदुद्दीन खान पद्मभूषण, डेमियर्गस शांति पुरस्कार तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से अलंकृत हो चुके हैं। वर्ल्ड्स 500 मोस्ट इन्फ्लुएंशियल मुसलिम्स ने उन्हें विश्व में इसलाम का आध्यात्मिक दूत बताया। वर्ष 2015 में उन्हें आजीवन शांति के प्रति योगदान के लिए अबू धाबी में ‘सय्यदीना इमाम अल हसन इब्ने अली शांति पुरस्कार’ से नवाजा गया।
रामिश सिद्दीकी
मौलाना वहीदुद्दीन खान के नाती हैं। वे एक वकील हैं, जिन्होंने प्रबंधन में स्नातकोत्तर भी किया है। वे विभिन्न राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में नियमित रूप से लिखते हैं और उनके साक्षात्कार अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। समसामयिक विषयों पर केंद्रित उनके लेखन का उद्देश्य दुनिया के सामने इसलाम की वास्तविकता को रखना है।
वे ‘फोरम फौर पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के अध्यक्ष हैं तथा दुनिया भर में अंतर-धार्मिक सेमिनारों व सम्मेलनों में नियमित रूप से हिस्सा लेते हैं।