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सफलता वह फल है, जो बहुत स्वादिष्ट है और हर कोई उसे चखना चाहता है; लेकिन यह चलकर झोली में आनेवाला फल नहीं है वरन् इस तक पहुँचने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। अगर आप सफलता पाने का इंतजार करेंगे तो चूक जाएँगे।
कुछ लोगों से पूछा जाता है कि वे सफलता पाने के लिए क्या कर रहे हैं तो उनका उत्तर होता है कि ‘बस अपने काम में लगे हैं, अब देखते हैं कि सफलता मिलती है या नहीं।’ इस तरह का उत्तर निराशावाद की ओर इशारा करता है। अगर आपका उत्तर होगा कि ‘हाँ, मैं सफलता प्राप्त करूँगा’ तो यह आशावाद भी है, और सफलता की गारंटी भी।
याद रखें, सफलता पाने के लिए न तो पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है, न पहाड़ तोड़ना—बस अपने कार्यों को सही ढंग से करते हुए बाधाओं को पार करना सफलता पाने का मूलमंत्र है। सफलता को पाने के व्यावहारिक सूत्र बताती लोकप्रिय पुस्तक।
प्रो. पुष्पेंद्र कुमार आर्य पत्रकार, लेखक एवं कैरियर मार्गदर्शक के रूप में विख्यात हैं। लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में आपकी दो हजार से अधिक रचनाएँ तथा विविध महत्त्वपूर्ण विषयों पर पच्चीस से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एम.ए. (राजनीति-शास्त्र), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंचार में पी.जी. डिप्लोमा तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र से प्रथम श्रेणी में ‘मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन’ की डिग्री के बाद आप ‘महात्मा गांधी का पत्रकार जीवन’ विषय पर शोध कार्य में संलग्न हैं। देश के विविध राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के संपादकीय विभाग में आप शीर्षस्थ पदों पर कार्य कर चुके हैं।
सृजनात्मक लेखन एवं उल्लेखनीय रचनात्मक प्रतिभा के लिए आपको विविध पुरस्कारों व सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है। इनमें ‘इंटरनेशनल वोकेशनल अवार्ड’; विश्व शांति आंदोलन ट्रस्ट, मुंबई द्वारा ‘राष्ट्र गौरव सम्मान’; अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट, इंक, कैरोलीना (अमेरिका) द्वारा ‘मैन ऑफ द ईयर-2003’; हिंदी संगठन, मॉरीशस का ‘हिंदी सम्मान’; ओरिएंटल कल्चरल अकादमी, बैंकॉक (थाईलैंड) द्वारा ‘इंस्टीट्यूट अवार्ड’; सल्तनत ऑफ ओमान के ‘निशान-ए-मस्कट’ एवं यूनिवर्सिटी ऑफ मीडिया आर्ट्स, नोएडा के ‘अकादमी अवार्ड’ के अतिरिक्त भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सम्मान प्रमुख हैं।