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Sahajta Ki Bhavyata   

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Author Baldev Bhai Sharma
Features
  • ISBN : 9789352665419
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Baldev Bhai Sharma
  • 9789352665419
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 592
  • Hard Cover
  • 650 Grams

Description

सुप्रसिद्ध साहित्यकार और गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हाजी अपनी साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक जीवन-यात्रा के 75 वसंत पूर्ण करने जा रही हैं। उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में भारतीय चिंतनधर्मिता, लोकधर्मिता एवं लेखकीय प्रतिबद्धता से भारतीय स्त्री-विमर्श और परिवार-सशक्तीकरण का शंखनाद किया है। जीवन में अनेक रचनात्मक एवं अभिनव विचार-कार्यों के द्वारा विकास का पथ प्रशस्त किया है। अपने राजनीतिक जीवन में कई संगठनात्मक दायित्वों का बड़ी निष्ठा से निर्वहण करते हुए गाँव की पगडंडी से गोवा के राजभवन तक पहुँची हैं। इतने उच्च संवैधानिक पद पर होकर भी वे बड़ी सहजता व सादगी से सभी लोगों से मिलती, बातें करती, उनके कार्यक्रमों में उपस्थित हो जाती हैं, उनके दुःख-सुख की परवाह करती हैं। मृदुला सिन्हा के आचार-विचार, हाव-भाव, जीवन के क्षण-क्षण में लोक विद्यमान है। लोक ही उनके जीवन की प्रेरणा-शक्ति है।

वे अपने संभाषणों में बार-बार कहती हैं— ‘‘साहित्यकार को मधुमक्खी की भूमिका में होना चाहिए, मकड़ा के नहीं। जो साहित्यकार समाज के विभिन्न क्यारियों से पराग इकट्ठा करते हैं, उनका साहित्य (मधु) उसी समाज-जीवन के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है।’’

एक प्रख्यात लेखक, संवदेनशील पत्रकार, सर्वभूतहितेरता, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रखर चिंतक, कुशल गृहिणी और शिखर राजनेता जैसे कितने पदों और गुणों को समेटे श्रीमती सिन्हा के 75वें जन्मदिवस के असवर पर सात खंडों में उनके जीवन की विविध रंगी झाँकी समेटे हुए ग्रंथ सहजता की भव्यता का प्रकाशन किया गया है, जिसमें उनके निकटतम रहनेवाले ही नहीं, दूर से देखने वालों ने भी अपनी सद्भावनाएँ व्यक्त की हैं। श्रीमती सिन्हा के बहुआयामी व्यक्तित्व को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का यह ग्रंथ एक छोटा सा प्रयास है।

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अनुक्रम    
संपादकीय : अरथु अमित अति आखर थोरे—13 6. चरैवेति-चरैवेति का मूलमंत्र—मनोहर पुरी —178 19. स्वातंत्र्योत्तर नारी कथाकार और मृदुला सिन्हा—डॉ. उदय प्रताप सिंह—354
शुभकामना सन्देश 7. अपनी सीमा का कभी अतिक्रमण नहीं किया—आनंद भारती—181 20. रचना संदर्भ प्रतिक्रिया—डॉ. नीलिमा भारती—359
1. श्री रामनाथ कोविंद, भारत के राष्ट्रपति—19-31 8. लोक साहित्य में ज्ञान-परंपरा—डॉ. ओमप्रकाश प्रजापति—184 21. न दैन्यं न पलायनम्—सीता चरित्रम्—डॉ. संगीता सक्सेना—361
2. श्री एम. वैंकेया नायडु, भारत के उपराष्ट्रपति 9. सूर्या संस्थान नोएडा की अध्यक्ष के रूप में मृदुलाजी—देवेंद्र कुमार मित्तल—186 22. लोक-आलोक की सांस्कृतिक सुरसरि—डॉ. संजय पंकज—365
3. श्रीमती सुमित्रा महाजन, लोकसभाध्यक्ष— 10. एक अनुकरणीय व्यक्तित्व—पी.के. दशोरा—192 23. ‘सीता पुनि बोली’ : एक अभिनव प्रयोग—डॉ. इंद्र सेंगर—368
4. श्री नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री 11. बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी—डॉ. शोभा भारद्वाज —194 24. साधारण पात्रों की असाधारण कहानियाँ—उपेंद्र कुमार—371
5. श्री मोहनराव भागवत जी 12. महिमामयी गरिमामयी सरस्वती पुत्री—भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता—198 25. नारी शक्ति की प्रतीक—प्रो. लल्लन प्रसाद—374
6. श्री भय्या जोशी 13. लोक संवाद की प्रखर वक्ता—डॉ. जनार्दन यादव—199 26. भारतीय संस्कृति की पोषक : मृदुलाजी—उषा जायसवाल—376
7. श्री लालकृष्ण आडवाणी 14. अनवरत साहित्य-समाज साधना की प्रतीक—डॉ. वेद प्रकाश शरण—201 27. साहित्य साधना को समर्पित : श्रीमती मृदुला सिन्हा—चंद्र प्रकाश जायसवाल—379
8. श्रीमती प्रमीला मेढे   28. लोक साहित्य विदुषी : मृदुला सिन्हा—डॉ. श्रीमती पुष्पा पाल—381
9. श्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री खंड -3 29. मृदुला की लघुकथाएँ : एक अवलोकन—प्रो. आशा गहलोत—384
10. श्री रामनाईक, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश संवाद स्तम्भ पत्र और पत्रकारिता 30. ‘उस आँगन के आकाश’ में सांस्कृतिक सरोकार—अंजुलता सारस्वत—389
11. श्रीमती सुषमा स्वराज, केंद्रीय विदेश मंत्री 1. लोकतंत्र के ‘पाँचवाँ स्तंभ’ की संस्थापिका—अच्युतानंद मिश्र—205  
12. श्री नंदकुमार सिंह चौहान 2. निर्विवाद जीवन—गुलाब कोठारी—207 खंड -6
आशीर्वचन 3. जीवन, साहित्य एवं पत्रकारिता का समन्वय—अवधेश कुमार—208 गतिमान लेखनी : प्रतिनिधि रचनाएँ
1. जगद्गुरु श्री शंकराचार्य—35 4. पाँचवें स्तंभ की पुरोधा—डॉ. इंदुशेखर ‘तत्पुरुष’—212 1. ज्यों मेहँदी को रंग—उपन्यास—395
2. मोरारि बापू—36 5. जब राँची के राजभवन में गूँज उठे थे उनके गीत—प्रवीण बागी—215 2. घरवास—उपन्यास—401
3. श्री श्री रविशंकर—37 6. संस्कृति में जड़ें—सूर्यनाथ सिंह —217 3. अतिशय—उपन्यास—406
4. स्वामी रामदेव—38 7. सीता की धरती की सीता मृदुला सिन्हा—शशिप्रभा तिवारी—220 4. सीता पुनि बोली—उपन्यास—409
5. स्वामी निरंजनानंद—39 8. डॉ. मृदुला सिन्हा से डॉ. संजय पंकज की बातचीत—डॉ. संजय पंकज—222 5. विजयिनी—उपन्यास—414
  9. लोक संस्कृति संपन्न लेखिका—शैलेंद्र—227 6. परितप्त लंकेश्वरी—उपन्यास—421
परिचयात्मक 10. साहित्यिक-राजनीतिक शख्सियत से इतर एक परिपक्व पत्रकार—सूर्य प्रकाश सेमवाल—231 7. एक दीये की दीवाली—कहानी-संग्रह—423
1. मृदुला सिन्हा : जीवन और चिंतन-सृजन—अखिलेश कुमार शर्मा —43 11. अनायास कह पड़ा—चाची, प्रणाम!—स्वयं प्रकाश—234 8. ढाई बीघा जमीन—कहानी-संग्रह—428
  12. गरिमा और संवेदना की अविरल अंतःसलिला—संजय कुमार मिश्र —236 9. अपना जीवन—कहानी-संग्रह—436
खंड-1 13. ‘संस्मरण’ और ‘स्केच’ की सिद्ध लेखिका—स्व. डॉ. सुरेंद्रनाथ दीक्षित—241 10. आईने के सामने—लेख-संग्रह—442
संस्मरण, समीक्षा, सदभाव और उदगार 14. ‘ज्यों मेहँदी को रंग’—स्व. शुकदेव सिंह—245 11. देखन में छोटन लगैं—लघुकथा संग्रह—445
 (क)घर परिवार 15. पत्र—डॉ. शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव—246 12. मात्र देह नहीं है औरत—लेख-संग्रह—447
1. प्रश्न अनेक, उत्तर एक—डॉ. रामकृपाल सिन्हा—79 16. पत्र—आचार्य सोहन लाल रामरंग—248 13. नारी, न कठपुतली, न उड़नपरी—लेख-संग्रह—449
2. भउजी—सुशीला मिश्रा—80 17. पत्र—तारा गुप्ता—249 14. विकास का विश्वास—लेख-संग्रह—452
3. कर्मठता व निष्ठा की प्रतिमूर्ति—अभय कुमार सिंह—82 18. पत्र—पूनम सिन्हा—250 15. उस आँगन का आकाश—लेख-संग्रह—456
4. मेरी धनमन—कामेश्वर प्रसाद सिंह—83 19. पत्र—डॉ. अखिल विनय—251 16. स्वच्छता संस्कार—लेख-संग्रह—460
5. माँ—नवीन सिन्हा—85 20. पत्र—शेख इसराईल—253 17. इसी बहाने—लेख-संग्रह—464
6. सास का पत्र होनेवाली बहू के नाम—संगीता सिन्हा—86   18. जीवन पाथेय—लेख-संग्रह—467
7. My Mother is the most inspirational woman—Dr. Praveen Sinha—91 खंड -4 19. बिहार इंद्रधनुषीय लोकरंग—लेख-संग्रह—469
8. You as my mother-in-law for seven lifetimes—Kalpana Kanwar—92 राजनीति में गुरुत्तर भूमिका 20. दीक्षांत समारोह के भाषण का सार संक्षेप—475
9. एक पत्र बहू कल्पना के नाम—कल्पना कंवर—94 1. महिला सशक्तीकरण की एक मजबूत कड़ी—डॉ. जगन्नाथ मिश्र—257 21. मृदुला सिन्हा के साहित्य में सूक्तियाँ—478
10. My Mom—Meenakshi Sinha—98 2. सतत उद्यमशीला—देवदास आपटे—260  
11. Role model for everyone—Ranveer Chandra—103 3. नित्य नूतन चिर पुरातन आकर्षक व्यक्तित्व—सरयू राय—262 खंड-7
12. ऐसी हैं मेरी मौसी—राजीव रंजन—104 4. गोवावासियों की एक स्नेहिल महिला—नंद किशोर यादव—265 सारस्वत व्यक्तित्व के साथ आप और हम 
13. My Daadi is my inspiration—Hansa Sinha—106 5. ममता से भरा बहुआयामी व्यक्तित्व—मोहिनी गर्ग—266 1. शतायु की कामना—दया प्रकाश सिन्हा—485
14. My Daadi—Samridhi Sinha—107 6. ज्यों-ज्यों निहारिए नेरे व्है नैननि—किरण घई सिन्हा—271 2. एक जीवंत व्यक्तित्व—जीत सिंह जीत—487
15. Significant Hindi author—Dhruv Sinha—109 7. मृदुला दीदी—माँ, सास और दीदी—किरण माहेश्वरी—274 3. रुद्राक्ष व्यक्तित्व—डॉ. सुरेश गौतम—489
16. My Grandma—Dheer Sinha—110 8. राजनीतिक व्यक्तित्व—डॉ. मधु वर्मा—276 4. साहित्य, संस्कृति एवं राष्ट्र-सेवा को समर्पित—रमेश नैयर—493
17. Happy B'day Naani—Radhika—111 9. समाज, राष्ट्र एवं महिलाओं की ज्ञान-दीप— डॉ. (श्रीमती) तारण राय—280 5. मृदुल संवाद—डॉ. सत्यकेतु सांकृत—495
(ख) वृहत्तर परिवार 10. ‘मृदुला माँ’—एक पैनी पारखी नजर... —सिम्मी जैन—282 6. सादा जीवन, उच्‍च विचार—प्रो. श्यामनाथ मिश्र—498
1. सदाबहार सरस क्षण—सुधा सिन्हा—112   7. वैशाली की कीर्तिपताका—निशांतकेतु—503
2. अपने पारिवारिक संबंधों के बीच—डॉ. अहिल्या मिश्र—114 खंड-5 8. भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्आख्याता—प्रो. पूरनचंद टंडन—504
3. बाल-सखी—धर्मशीला शास्त्री—119 साहित्य में संवाद : चिंतन और दर्शन 9. साहित्य और राजनीति का समन्वित एकल व्यक्तित्व—डॉ. शिववंश पांडेय—507
4. मामी—महंथ राजीव रंजन दास—122 1. आस्था व विश्वासयुक्त पुरुषार्थ की चितेरी : डॉ. मृदुला सिन्हा 10. सदाचार-नम्रता की प्रतिमा—जगदीश प्रसाद—512
5. उनसे मिलने का आनंद—मीना शाही—125 —डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली—287 11. स्वयं में एक संस्था—कुमकुम झा —515
6. सहजता की भव्यता—सूर्यबाला—127 2. राजनीति नहीं, साहित्य सर्वोपरि—डॉ. कमल किशोर गोयनका—292 12. साहित्य और राजनीति का अद्भुत समन्वय—डॉ. हरिसिंह पाल—519
7. जैसा मैंने उन्हें जाना—शीला झुनझुनवाला —130 3. मर्यादा की गहरी रेखा—डॉ. देवेंद्र दीपक—295 13. सहज, सरल व्यक्तित्व : मृदुला बहन—महेश चंद्र शर्मा—522
8. एक सरल-सहज प्रबोधिनी—क्रांति कनाटे—134 4. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की उद्गाता—प्रो. बलवंत जानी —297 14. मृदुला, सरला, प्रगल्भा, शुचि, ममतामयी—मधु पंत—524
9. मेरी चाची—डॉ. विद्या सिन्हा—137 5. भारतीय उपन्यास की जड़ें और ‘परितप्त लंकेश्वरी’— 15. साहित्य, समाज और राजनीति में मधुर मुसकान सी—जेबा रशीद —527
10. प्रखर कर्मयोगिनी श्रद्धेया भाभीजी—डॉ. देवेनचंद्र दास ‘सुदामा’—141 —प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार सिंह—302 16. स्निग्ध-शक्ति—डॉ. सरोज बजाज—530
11. सहजा-सरला मृदुला दीदी—डॉ. कन्हैया सिंह—144 6. मृदुला सिन्हा : चिंतन के आयाम—डॉ. बलदेव वंशी—307 17. वे एक कल्पतरु सरीखी—राज अग्रवाल—532
12. आत्मीय-अंतस के अनहद नाद का अक्षुण्ण उत्सव—पंडित सुरेश नीरव—147 7. मृदुला सिन्हा के साहित्य में लोक-चेतना—डॉ. रामशरण गौड़—312 18. मृदुला सिन्हा : एक गरिमामयी व्यक्तित्व—डॉ. रमा सिंह—533
13. अपराजेय निष्ठा—ऋता शुक्ल—150 8. माटी का मोह और रचनाएँ—आचार्य मिथिला प्रसाद त्रिपाठी—316 19. जीवन की उपलब्धियाँ—बी.एस. शांताबाई—536
14. ममत्व की मेहँदी का अमिट रंग है, वह एक खास मुलाकात...!—डॉ. विमलेश शर्मा —152 9. सृजन की अंतःसलिला—बिनय षडंगी राजाराम—318 20. वह दवा है, दुआ है, मेरे देश की—डॉ. रंजन जैदी—538
15. मेरी सखी—उमा मालवीय—156 10. अतिशय (उपन्यास) : श्रीमती मृदुला सिन्हा—समीक्षक : डॉ. तपेश्वर नाथ—321 21. अभिनंदन-पत्र—प्रेमचंद्र झा—544
16. आत्मीया मौसी—डॉ. जूही समर्पिता—157 11. सीता पुनि बोली : भारतीय नारी के रचनात्मक सच के साक्षात्कार— 22. संग चले जब तीन पीढ़ियाँ—कविता मुखर—546
17. श्रद्धा एवं विनम्रता की प्रतीक—वेद प्रकाश कुमार—160 —डॉ. विमला सिंघल —324 23. कर्तव्यों की लागत से जिन्हें अर्जित हैं अधिकार—विजय विजन —58
  12. लब्ध प्रतिष्‍ठ साहित्यकार की सृजन दृष्टि—जगदीश तोमर —328 24. A magnificent, magnanimous, magnetic and 
खंड-2 13. आपातकाल को रचनाओं में जीनेवाली कथाकार मृदुलाजी  multi-faceted personality—Dr. N. Radhakrishnan—551
समाज बोध की विधायक दृष्टि —प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार भगत—331 25. A legend who inspires me—Rupesh Kumar Thakur—554
1. अनुकरणीय व्यक्तित्व—श्रीधर पराड़कर—163 14. रचनाकार का निज और समसामयिक संदर्भ—डॉ. सारिका कालरा—335 26. मेरे अनुभव—हिमांशु तिवारी—556
2. सामाजिक समरसता और साहित्य की शिखरता का समिन्वत व्यक्तित्व —डॉ. विंदेश्वर पाठक—166 15. शालीन और मूल्यपरक सृजन का उज्ज्वल पक्ष—गिरीश पंकज —341 27. My Madam—Mrs. Mazzie D’Sa—559
3. शब्दों से महामहिम—डॉ. मालती—169 16. गोवा में साहित्यिक सुशासन का लोकगान—अलका सिन्हा—345  
4. नारियों की शक्ति-स्तंभ—विमला बाथम —173 17. सकारात्मक लेखन की कलमकार—पूनम पांडे —349  
5. सामाजिक सरोकारों की स्वायत्त ‘संस्था’—डॉ. ओम प्रकाश शर्मा—175 18. अग्रणी राष्ट्रवादी लेखिका—डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’—351  

The Author

Baldev Bhai Sharma

जन्म : 6 अक्तूबर, 1955 को मथुरा जिले (उ.प्र.) के गाँव पटलौनी (बल्देव) में।
कृतित्व : पिछले पैंतीस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। स्वदेश, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, पाञ्चजन्य, नेशनल दुनिया का संपादन। देश के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में ज्वलंत राष्ट्रीय व सामाजिक मुद्दों पर पाँच सौ से ज्यादा विचारपरक आलेख प्रकाशित। अनेक फीचर व वार्त्ता कार्यक्रम आकाशवाणी (दिल्ली) से प्रसारित।
देश के प्रायः सभी प्रमुख टी.वी. व समाचार चैनलों पर आयोजित समसामयिक व राष्ट्रीय मुद्दों पर होनेवाली पैनल चर्चाओं में गत कई वर्षों से नियमित भागीदारी। अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों व प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं में शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रीयता पर व्याख्यान।
प्रकाशन : ‘मेरे समय का भारत’, ‘आध्यात्मिक चेतना और सुगंधित जीवन’ पुस्तकों का प्रकाशन।
सम्मान : म.प्र. शासन का ‘पं. माणिकचंद वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान’, स्वामी अखंडानंद मेमोरियल ट्रस्ट, मुंबई का रचनात्मक पत्रकारिता हेतु राष्ट्रीय सम्मान व ‘पंडित माधवराव सप्रे साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान’ सहित अन्य कई सम्मान।
संप्रति : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष।
baldev.bhai.sharma@gmail.com

 

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