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साईं की सेवा करने का मुझे अवसर मिला, यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा ईश्वरीय आशीर्वाद है, ऐसी मेरे मन की प्रामाणिक भावना है। इस कालावधि में मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। मैं शिरडी कभी आता नहीं था, लेकिन इस पूरे कार्यकाल में मैं शिरडी के सिवाय कहीं जाता ही नहीं था। साईं बाबा का पहले कभी विचार करता नहीं था। लेकिन इस दौरान साईं के सिवाय कोई दूसरा विचार ही नहीं किया। पैर अपने आप शिरडी की ओर खिंचे चले आते थे।
डॉ. सुरेश हावरे एक प्रेरक और प्रभावशाली व्यवसायी हैं, जिन्हें अपने संगठनात्मक और प्रशासनिक कौशल के लिए जाना जाता है। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में बी.एससी. टेक. की डिग्री प्राप्त की। फिर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से न्यूलियर इंजीनियरिंग में स्नातकोार की शिक्षा पूरी की। तदुपरांत इतिहास में एम.ए. किया और हाल ही में मुंबई यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त की है। नागपुर यूनिवर्सिटी के एक मेरिट स्कॉलर तथा इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल जीतनेवाले डॉ. सुरेश ने 27 वर्षों तक परमाणु ऊर्जा विभाग में सीनियर न्यूलियर साइंटिस्ट के रूप में कार्य किया। न्यूलियर इंजीनियरिंग विषय पर 37 शोधपत्र लिखे, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल का वियना के आईएईए में नेतृत्व किया। अब वे बेहद लोकप्रिय ‘हावरे ग्रुप ऑफ कंपनीज’ के संचालक और लीडर हैं। उन्होंने अनेक लोक कल्याणकारी कार्यों की शुरुआत की है। कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय बिजनेस अवॉर्ड प्राप्त कर चुके डॉ. हावरे जेएनपीटी के ट्रस्टी रहे और वर्तमान में श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी के अध्यक्ष हैं। हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र्र सरकार ने ‘राज्यमंत्री’ पद का दर्जा दिया है।