‘‘या बात है? या खोज रहे हो तुम यहाँ?’’ अचानक नींद से जागे और अचंभित वाल्डो ने वैन ताह्न से पूछा, जिसे पहचानने में उसे कुछ समय लगना स्वाभाविक था।
‘‘भेड़ ढूँढ़ रहा हूँ।’’ जवाब आया।
‘‘भेड़?’’ वाल्डो चीख पड़ा।
‘‘हाँ, भेड़।’’ ‘‘तुम या समझते हो, मैं कोई जिराफ की खोज में आया हूँ।’’
‘‘मैं नहीं समझता कि दोनों में से कोई भी तुमको मेरे कमरे में यों मिलनेवाला है।’’ वाल्डो ने गुस्से में पलटकर जवाब दिया।
‘‘रात के इस समय, मैं इस विषय पर बहस नहीं कर सकता।’’ बर्टी ने कहा और वह जल्दी-जल्दी मेज की दराजों में हाथ डालकर खोजने लगा। कमीजें और कच्छे उड़-उड़कर फर्श पर गिरने लगे।
‘‘यहाँ कोई भेड़ नहीं है, मैं तुमसे कहता हूँ।’’ वाल्डो चिल्लाया।
‘‘मैंने तुमको सिर्फ कहते सुना है।’’ बर्टी ने बिस्तर के अधिकतर कपड़े जमीन पर फेंकते हुए कहा, ‘‘अगर तुम कुछ छिपा नहीं रहे होते तो तुम इतने उोजित नहीं होते।’’
इस समय तक वाल्डो समझ चुका था कि वैन ताह्न पागलों जैसा बरताव कर रहा है और फिर वह उससे ठिठोली करने लगा।
—इसी संग्रह से
——1——
साकी के नाम से यात महान् कहानीकार हैटर ह्यूग मुनरो ने समाज में व्याप्त सभी तरह की विसंगतियों, असमानताओं एवं मानवीय संबंधों के बीच के द्वंद्व को अपनी कहानियों में उतारा है, जो रोचक तो हैं ही, पाठकीय-रस से सराबोर हैं।
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अनुक्रम
1. थिएटर में रेजिनाल्ड—7
2. मार्क—10
3. कबाड़ खाना—16
4. तलाश—22
5. लॉरा—27
6. कहानी सुनानेवाला—33
7. मुरगी—39
8. काला धबा—46
9. बीही का पेड़—51
10. डेरी का रास्ता—56
11. माउँग का की बातें—64
12. मादा-भेड़िया—68
13. खुली खिड़की—75
14. भाग्य—79
15. नरक संसद्—84
16. सेप्टीमस ब्रोप का गुप्त अपराध—88
17. मेल-मिलाप के खिलौने—98
18. सातवाँ चूजा—104
19. झाँसा-पट्टी के दाँव-पेच—111
20. गपोड़िए—117
21. धमकी—122
22. वास्तविकता का आभास—127
23. सात क्रीम जग—133
24. प्रतिशोध की दावत—140
25. लूइस—145
26. असावधानी—150
27. शांति यज्ञ—156
28. अतिथि—162
29. सर्नोग्राटज के भेड़िए—167
30. श्रेडनी वश्टर—172
हैटर ह्यूग मुनरो (18 दिसंबर, 1870), जो ‘साकी’ के नाम से प्रसिद्ध हुए एक ब्रिटिश लेखक व नाटककार थे। उन्होंने अपनी चुटीली, नटखट व कभी-कभी भयाक्रांत करनेवाली कहानियों से एक बड़े पाठकवर्ग में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अनेक प्रसिद्ध कृतियों का सर्जन किया है।
स्मृतिशेष : 14 नवंबर, 1916।