₹200
“मैंने निश्चय कर लिया है माँ कि साधना को हर महीने पाँच सौ रुपए वेतन के दूँगा। यह पैसा उसका अपना होगा, केवल उसका।”
“कैसी बात कर रहा है, बेटे! क्या दुनिया में कभी किसी ने ऐसा किया है, जो तू कर रहा है?”
“किसी ने किया हो या न किया हो, लेकिन मैं एक ऐसी मिसाल कायम करूँगा, जिससे लोग महिलाओं के परिश्रम को सम्मान देना सीखें।”
“बहू, अरी ओ बहू!...शुभ समाचार सुन ले कि आज से तेरा पति पाँच सौ रुपए वेतन दिया करेगा तुझे। अब तक तो तू इस घर की मालिकिन थी, अब नौकर है—
उन्नति हुई या अवनति, बोल?”
—इसी संकलन से
स्वार्थ के संबंधों, व्यवहार की विषमताओं और मानव-मन की मजबूरियों में पथराए आपसी रिश्तों के फलस्वरूप हुए सामाजिक विघटन का पीड़ाजनक परिदृश्य प्रस्तुत करते हैं और समय के सत्य से साहसपूर्ण साक्षात्कार कराते हैं ये एकांकी। परंपरागत आदर्शों और जीवन-मूल्यों के प्रदूषण से निकली आधुनिक रूढ़ियों में जकड़े सामाजिक संबंधों की सार्थक समीक्षा और चिंतन के नये आयाम प्रस्तुत करते हैं—
सामाजिक मूल्यों के एकांकी
जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्टि से प्रकाशित उनके विशिष्ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।