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Samajik Samrasta

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Author Narendra Modi
Features
  • ISBN : 9789350482322
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Narendra Modi
  • 9789350482322
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 348
  • Hard Cover

Description

अंग्रेजों ने हिंदुत्व को, राष्‍ट्रीयत्व को क्षीण करने का षड्यंत्र रचा, जिसे डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी ने समझा और समाज में आई बुराईयों को दूर करने का बीड़ा उठाया। वंचित वर्ग में प्रेरणा जगाकर उसमें ऊपर उठने की ललक जगाई। उसी प्रकार गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज में व्याप्‍त दुःख और अभावों को दूर करने का संकल्प लिया। उन्होंने समरस समाज के विचार को प्रतिष्‍ठित करने का सत्प्रयास किया। समाज के विविध प्रश्‍नों को देखने का उनका अपना ही दृष्‍टिकोण है। नरेंद्र मोदी की समाज के प्रति जो संवेदना है, वंचितों के प्रति जो कर्तव्य-भाव है और सामाजिक समरसता के लिए जो प्रतिबद्धता है, वह उनके भाषणों में, उनके लेखों में तथा उनके कार्य में स्पष्‍ट रूप से दिखाई देती है।
किसी भी राज्य के संपूर्ण विकास का मापन राज्य के वंचितों-पीडि़तों के विकास (कष्‍ट निवारण) के आधार पर होता है। सच्चा सर्वांगीण विकास वही है, जिसमें अंतिम छोर में निवास करने वाले छोटे-से-छोटे आम आदमी तक विकास का फल पहुँचे। श्री नरेंद्र मोदी के शासन का अधिष्‍ठान ऐसा ही ‘कल्याणकारी राज्य’ रहा है। उनके जीवन-कार्य का केंद्रबिंदु भी समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा सामान्य आदमी ही है।
यह पुस्तक श्री नरेंद्र मोदी के विचारशील व चिंतनपरक लेखों का संकलन है। इसमें आमजन के प्रति उनके ममत्व भाव, सुख-दुःख में सहभागिता तथा विचार-चिंतन की श्रेष्‍ठता, समाज के प्रति संवेदना एवं सामाजिक समरसता के प्रति वचनबद्धता को साक्षात् अनुभव किया जा सकता है।

The Author

Narendra Modi

गुजरात के मेहसाना जिले के वडनगर में जनमे श्री मोदी राजनीतिशास्‍‍त्र में एम.ए. हैं। स्वयंसेवक के रूप में संघ संस्कार एवं संगठन वृत्ति के साथ अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए1999 में वे भाजपा के अखिल भारतीय महामंत्री बने। सोमनाथ-अयोध्या रथयात्रा हो या कन्याकुमारी से कश्मीर की एकता यात्रा, उनकी संगठन शक्‍ति के उच्च कोटि के उदाहरण हैं। गुजरात का नवनिर्माण आंदोलन हो या आपातकाल के विरुद्ध भूमिगत संघर्ष, प्रश्‍न सामाजिक न्याय का हो या किसानों के अधिकार का, उनका संघर्षशील व्यक्‍तित्व सदैव आगे रहा है।
ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को जानना उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। उन्होंने जीवन-विकास में परिभ्रमण को महत्त्वपूर्ण मानते हुए विश्‍व के अनेक देशों का भ्रमण कर बहुत कुछ ज्ञानार्जन किया है।
अक्‍तूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पद सँभालने के बाद उन्होंने प्रांत के चहुँमुखी विकास हेतु अनेक योजनाएँ प्रारंभ कीं—समरस ग्राम योजना, विद्या भारती, कन्या केलवानी योजना, आदि। स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत ‘चरैवेति-चरैवेति’ पर अमल करते हुए निरंतर विकास कार्यों में जुटे श्री मोदी को बीबीसी तथा बिजनेस स्टैंडर्ड ने ‘गुजरात का इक्कीसवीं सदी का पुरुष’ बताया है।
आज भारत में ‘सुशासन’ की गहन चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री के रूप में कम समय में ही श्रेष्‍ठ प्रशासक और सुशासक के रूप में भारत की प्रथम पंक्‍ति के नेताओं में उनका नाम लिया जाता है।

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