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‘योग’ इस युग में सबसे अधिक प्रयोग में लाया जानेवाला शब्द बन गया है। बीते पच्चीस वर्षों में इसका उपयोग विभिन्न विचारों और अर्थों को व्यक्त करने के लिए किया गया। उनमें से इसका सबसे अधिक प्रयोग शारीरिक व्यायाम के लिए किया गया है।
यौगिक अभ्यासों पर फिलहाल जितनी भी पुस्तकें हैं, वे योग को महज धीमे जिमनास्टिक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। योग पर कुछ और पुस्तकें भी हैं, जो इस विधा को पूरी तरह से हिंदू परंपरा में ढालती हैं, जिसे स्वीकार करना कई लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। उन्हें एक ओर यौगिक मुद्राओं को करने में शारीरिक कठिनाई आती है तो दूसरी ओर वे योग के दार्शनिक पहलू को नहीं समझ पाते।
इस पुस्तक में दिए गए यौगिक अभ्यास का कोर्स पूरी तरह मौलिक है। यही नहीं, इसे अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य देने के मूल उद्देश्य से तैयार किया गया है।
इस पुस्तक में, दैनिक जीवन के सभी पहलुओं, शरीर की दशाओं तथा हम सब के अस्तित्व से जुड़ी मानसिक स्थितियों का खयाल रखा गया है। यह पुस्तक किसी एक निश्चित आयु वर्ग को ध्यान में रखकर नहीं लिखी गई है, वरन् यह सबके लिए उपयोगी है।
स्वस्थ शरीर और मन के लिए योग का व्यावहारिक उपयोग बताती एक संपूर्ण पुस्तक।
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अनुक्रम
भूमिका — 7
लेखिका की बात — 11
प्रस्तावना — 13
आभार — 19
1. योग और भारतीय परंपरा : एक संक्षिप्त इतिहास — 23
2. स्वास्थ्य के संदर्भ में योग : मानसिक और शारीरिक तैयारी — 42
3. योगाभ्यास, योगासन और ध्यान — 57
पहला सप्ताह — 58
दूसरा सप्ताह — 68
तीसरा सप्ताह — 76
चौथा सप्ताह — 83
पाँचवाँ सप्ताह — 93
छठा सप्ताह — 100
सातवाँ सप्ताह — 105
आठवाँ सप्ताह — 110
नौवाँ सप्ताह — 121
4. स्वास्थ्य-रक्षा तथा आत्म-उपचार — 129
5. निष्कर्ष — 136
भारत में प्रजनन जीवविज्ञान में डॉक्टरेट करने के बाद डॉ. विनोद वर्मा ने पेरिस यूनिवर्सिटी में न्यूरो बायोलॉजी की पढ़ाई कर दूसरी डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हैल्थ, बेथेस्डा (अमेरिका) और मैक्स-प्लांक इंस्टीट्यूट, फ्राइबुर्ग (जर्मनी) में उन्नत शोध किया। चिकित्सकीय अनुसंधान में एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में अपने कॅरियर के शीर्ष पर उन्होंने महसूस किया कि स्वास्थ्य चिकित्सा के प्रति आधुनिक दृष्टिकोण मूल रूप से खंडित और अपूर्ण है।
डॉ. वर्मा औषधीय पौधों तथा दवाओं में उनके मिश्रण के बारे में अनेक शोध परियोजनाओं में लगी हैं। डॉ. वर्मा चरक आयुर्वेद विद्यालय तथा द आयुर्वेद हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन की संस्थापक व संचालक हैं। यह संस्था एक दातव्य न्यास है, जो ग्रामीण इलाकों में आयुर्वेदिक औषधियों और योग चिकित्सा के प्रोत्साहन तथा वितरण के लिए है। वे परंपरागत विज्ञान और औषधियों के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए गाँवों और हिमालय के दूरदराज के इलाकों में स्कूली बच्चों के बीच नियमित रूप से व्याख्यान देती हैं।
डॉ. वर्मा संस्कृत, हिंदी, पंजाबी, फ्रांसीसी, जर्मन और अंग्रेजी भाषाएँ जानती हैं।
इ-मेल : ayurvedavv@yahoo.com