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प्रस्तुत निबंध अखिल भारतीय सिविल सेवा की प्रतियोगी परीक्षाओं एवं प्रांतीय सिविल सेवा परीक्षाओं को केंद्र में रखकर लिखे गए हैं। इधर जो निबंध के स्वास्थ्य और उसकी धारणा में परिवर्तन आया है, वह पिछले आठ-दस वर्षों में अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में निबंध के अनिवार्य प्रश्नपत्र में पूछे गए हिंदी निबंधों के शीर्षकों से स्पष्ट हो जाता है। ये शीर्षक बँधी-बँधाई लीक से हटकर हैं; अत: यह भी स्वाभाविक और आवश्यक है कि इस तरह के निबंधों की लेखन-शैली पारंपरिक निबंधों से भिन्न हो।
इस पुस्तक में संकलित निबंधों में निश्चित ही आपको एक नई निबंध-शैली का ऐसा अनुभव होगा, जो न केवल निबंध-रचना की एक विशिष्ट पद्धति से परिचित कराएगा, अपितु लिखने के लिए निरंतर प्रेरित करते हुए आपके व्यक्तित्व में कुछ नया जोड़ेगा। स्पष्ट है कि ये तीनों प्रेरणाएँ आपको परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने में सहयोग करेंगी।
इन निबंधों का महत्त्व केवल परीक्षा की ही दृष्टि से नहीं है। उन पाठकों को भी ये संतृप्ति देंगे, जो अपने विषय में और अपने से बाहर की दुनिया को जानने में रुचि रखते हैं। ये निबंध अपनी साहित्यिक समृद्धि और विशिष्ट शैली से आर्थिक, दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक स्तर पर आपकी अनेक जिज्ञासाओं को तृप्त करेंगे और आपके भीतर अनेक जिज्ञासाएँ भी जाग्रत् करेंगे।
प्रस्तुत पुस्तक निश्चित ही प्रतियोगिता के संसार में एक अभिनव सर्जनात्मक हस्तक्षेप करनेवाली कृति सिद्ध होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
जन्म : मध्य प्रदेश (दमोह) के वर्तलाई ग्राम में सन् 1944 में।
शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी.। तत्पश्चात्उच्च शिक्षा में रहते हुए वर्तमान में प्राचार्य पद पर आसीन।
प्रकाशन : ‘बिहारी सतसई का सांस्कृतिक अध्ययन’, ‘बिहारी सतसई : काव्य और चित्रकला का अंतर्संबंध’ (समीक्षा); ‘कालमृगया’, ‘विषाद बाँसुरी की टेर’ (ललित-निबंध); ‘दाखिल खारिज’, ‘मरे न माहुर खाए’ (उपन्यास); ‘जड़ों की ओर’ (कहानी संकलन); ‘बुंदेलखंड की लोक कथाएँ’ (लोक साहित्य); ‘ऋतुएँ, जो आदमी के भीतर हैं’, ‘इतने करीब से देखो’, ‘रीते खेत में बिजूका’ (नवगीत); ‘हमारा राजा हँसता क्यों नहीं’ (व्यंग्य निबंध); ‘लोक : परंपरा, पहचान एवं प्रवाह’ (लोक-चिंतन)।
सम्मान/पुरस्कार : म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रतिष्ठित ‘वागीश्वरी पुरस्कार’, बुंदेलखंड साहित्य अकादमी का ‘स्वामी प्रणवानंद सरस्वती हिंदी पुरस्कार’, म.प्र. साहित्य परिषद् (साहित्य अकादमी) का ‘बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार’ एवं इसी कृति पर शंभुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन, वाराणसी का ‘अखिल भारतीय डॉ. शंभुनाथ सिंह नवगीत पुरस्कार’ तथा म.प्र. लेखक संघ का ‘पुष्कर जोशी सम्मान’।
संप्रति : प्राचार्य, श्री राघवेंद्र सिंह हजारी शासकीय महाविद्यालय, हटा (दमोह), म.प्र.।