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Samudra Ki Gahari Hari Aatma   

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Author Acharya Janaki Vallabh Shastri
Features
  • ISBN : 9789350485606
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Acharya Janaki Vallabh Shastri
  • 9789350485606
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 255
  • Hard Cover

Description

कथा साहित्य के अंतर्गत कानन, अपर्णा, लीला कमल, बाँसों का झुरमुट तथा नाट्य-साहित्य के अंतर्गत अशोक वन, सत्यकाम, जिंदगी, आदमी, प्रतिध्वनि, देवी, नील झील आदि कृतियाँ जानकीवल्लभ शास्त्री के रचनाकार के उस प्रबुद्ध-सिद्ध गद्यकार पक्ष को उजागर करती है, जो अनेक कवियों के लिए एक कसौटी है। शास्त्रीजी का संस्मरण-साहित्य हिंदी साहित्य की वह अमूल्य निधि है, जिसके बीच से नहीं गुजरना एक सहज-सरल सारगर्भित भाव-निधि से वंचित रह जाना है। स्मृति के वातायन, निराला के पत्र, नाट्य-सम्राट् श्री पृथ्वीराज कपूर, हंसबलाका, कमर्क्षेत्रे: मरुक्षेत्रे, एक असाहित्यिक की डायरी और अष्‍टपदी आदि संस्मरण-साहित्य शास्त्रीजी का वैयक्‍त‌िक राग नहीं, जीवन का विराट् संदर्भ तथा चिंतन-मनन का संवेदनात्मक वह आरोह-अवरोह है, जिसमें पाठक स्वयं को आंतरिक और बाह्य रूपों में देख-समझ और जान सकता है। वैयक्‍त‌िक संदर्भों तथा अनुभूतियों को भी शास्‍‍त्रीजी ने जिस कुशलता से साहित्य बना दिया है, यह उनके चिंतनशील, मननशील एवं संवेदनशील सर्जक व्यक्‍त‌ि‍त्व की अन्यतम उपलब्धि है। आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री एक सजग, अनुरागी, पारदर्शी और सूक्ष्मदर्शी विश्‍लेषक-आलोचक भी हैं। इनके समीक्षा-साहित्य रचनात्मक, क्रियाशील और मूल्यांकनपरक विद्वान् आचार्य का साक्षात्कार कराता है। वैसे इनकी आलोचना महज आलोचना नहीं, रचनात्मक-आलोचना है।

The Author

Acharya Janaki Vallabh Shastri

जन्म : माघ शुक्ल द्वितीया 1916।
विलक्षण प्रतिभा-संपन्न आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का आवास ‘निराला निकेतन’ साहित्य, संस्कृति, कला-साधकों के लिए तीर्थस्थल है। आचार्यश्री की साधना ने इसे सिद्ध और मुजफ्फरपुर (बिहार) को प्रसिद्ध किया। विभिन्न विधाओं में निरंतर लिखते हुए कई दर्जन पुस्तकों के लेखक शास्त्रीजी मृत्युपर्यंत प्रकृति और मनुष्य के साथ ही मानवेतर प्राणियों को भी स्नेह-सिंचित करते रहे। ‘कालिदास’, ‘राधा’, ‘हंसबलाका’, ‘कर्मक्षेत्रे मरुक्षेत्रे’ जैसी कृतियाँ अपनी विषय-वस्तु और प्रतिपादन शैली के कारण कालजयी हैं। कई सम्मानों-पुरस्कारों से अलंकृत शास्त्रीजी का स्वाभिमानी व्यक्‍त‌ि‍त्व साधकों के लिए प्रेरक-संबल रहा है। लेखक, चिंतक, मनीषी और ऋषि आचार्यजी कई पीढि़यों के मार्गदर्शक और निर्माता रहे हैं। संस्कृत के प्रकांड पंडित और कवि शास्त्रीजी अंग्रेजी तथा उर्दू के विद्वान् अध्येता थे।
स्मृति शेष : 7 अप्रैल, 2011 ।

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