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Sanatan Parampara Ka Mahaparva Mahakumbh   

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Author Pradeep Kumar Rao
Features
  • ISBN : 9789355629883
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Pradeep Kumar Rao
  • 9789355629883
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2025
  • 176
  • Soft Cover
  • 150 Grams

Description

"महाकुंभ-2025 में अब तक लगभग 44 करोड़ श्रद्धालुओं की पावन डुबकी के साथ 50 करोड़ की संख्या पार करने के अद्यतन अनुमान ने इस महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन सिद्ध कर दिया है। योगी आदित्यनाथजी महाराज की तपस्यारत योजनाओं, स्वच्छता, सुरक्षा, तकनीक और सुव्यवस्था के कारण महाकुंभ-2025 हमेशा याद किया जाएगा। दिव्य-नव्य-भव्य महाकुंभ सनातन संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बना है, किंतु महाकुंभ- 2025 जितना अपनी दिव्यता भव्यता एवं सुव्यवस्था के लिए याद किया जाएगा, उत्तना ही उत्तर प्रदेश के यशस्वी तपस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी महाराज के रुँधे गले और उनके आँसुओं के कारण भी याद किया जाएगा। मौनी अमावस्या के अमृत-स्नान पर क्षण भर के लिए घटित उस अनहोनी रूपी विष को पीते हुए जब इस संन्यासी योगी के आँसुओं की दुनिया साक्षी बनी।

दुनिया देख रही थी कि राष्ट्र-समाज और विश्व को सनातन संस्कृति का अमृत-पान कराने में तपस्यारत एक संन्यासी-योगी दिन-रात एक किए हुए था, एक-एक श्रद्धालु की सुविधा की चिंता कर रहा था, संभवतः किंचित् षड्यंत्रों और श्रद्धालुओं की असावधानी से मुख्य अमृत स्नान पर घटित एक अनहोनी से उस संन्यासी-योगी को वह गरल पीना पड़ा, जो समुद्रमंथन की तरह अनायास निकल आया था और भगवान् शिव की तरह लोककल्याणार्थ पीना ही था। यद्यपि सनातन परंपरा के वाहक किसी भी सनातनी ने उसे अनहोनी ही माना और पूज्य योगी आदित्यनाथजी महाराज के आँसुओं को अमृत-बूंद मानकर उसे प्रसाद-स्वरूप ग्रहण कर लिया।"

The Author

Pradeep Kumar Rao

हिन्दू समाज में जागृति आयी है। छुआछूत की समस्या बहुत हद तक समाप्त हो चुकी है। धर्माचार्यों के प्रयास से राजनीतिज्ञों में खलबली मच गयी। राजनीतिज्ञों ने जातिवादी खायी को प्रयासपूर्वक बढ़ाया है। अब यह समस्या सामाजिक कम राजनीतिक अधिक है। तथापि हिन्दू समाज में लेशमात्र बची इस समस्या के समूल नाश का प्रयास धर्माचार्यों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को करते रहना चाहिए। संगठित एवं समरस हिन्दू समाज राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए अपरिहार्य है। हिन्दू समाज की जागृति का परिणाम है कि श्रीराम जन्मभूमि, श्रीरामसेतु जैसे मुद्दों पर सरकारें हिलने लगती हैं। ताल ठोककर धर्मान्तरण करने का साहस अब किसी में नहीं हैं। हिन्दू समाज की आस्था पर चोट करने में राजनीतिज्ञ अब एक बार सोचते अवश्य हैं। जिस दिन हिन्दू समाज संगठित होकर और मुखर हो जाएगा, राष्ट्रीय एकता-अखण्डता, भारतीय संस्कृति के मान बिन्दुओं, हिन्दू समाज की आस्था पर चोट करनेवाली समस्याएँ अधिकतर स्वतः हल हो जाएँगी।
हिन्दुत्व को सही मायने में जब तक सामाजिक व्यवस्था में नहीं उतारा जाएगा, कथनी-करनी में अन्तर समाप्त नहीं किया जाएगा, ऊँच-नीच छुआछूत विहीन समाज की पुनःप्रतिष्ठा नहीं कर ली जाएगी तब तक ऐसे प्रश्न खड़े ही होते रहेंगे। ऐसे प्रश्नों की बिना चिन्ता किये हमें वास्तव में समरस समाज, समतामूलक समाज, सर्वस्पर्शी समाज की पुनर्रचना के भगीरथ प्रयास में लगे रहना होगा। ऐसा हिन्दू समाज जब पुनःप्रतिष्ठित होगा तो प्रश्न उठाने वाले स्वतः चुप हो जाएँगे या उन्हें कोई सुनेगा ही नहीं।

 

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