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Sanjeevani   

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Author Dr. Ravindra Shukla ‘Ravi’
Features
  • ISBN : 9789386871930
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • Dr. Ravindra Shukla ‘Ravi’
  • 9789386871930
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2020
  • 176
  • Hard Cover

Description

लीलाभूमिरियं विभोः भगवतो यद् दृश्यरूपं जगद्,
यस्मिन्नाप्तसुधीभिरार्षभुवनेविज्ञाननीतिप्रियैः।
सिद्धान्ताः नियमास्तथा च कृतयो 
निर्धारिताश्श्रयसे,
श्रेष्ठान् तान् कवितायतिः मुनिनिभः प्रस्तौति भूयो ‘रविः’।।
यह दृश्यमान संसार व्यापक परमात्मा का क्रीड़ास्थल है। ऋषियों की इस भूमि में विज्ञान एवं नीति?विद्या के विशेषज्ञ पवित्र मनीषियों ने मानव-कल्याण के लिए जिन सिद्धांतों एवं नियमों का प्रवर्तन किया था, उन्हीं श्रेष्ठ आदर्श सिद्धांतों को मुनितुल्य कविश्रेष्ठ डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ‘रवि’ ने पुनः राष्ट्र भाषा में प्रस्तुत किया है। जो स्तुत्य है।
उनकी प्रसिद्ध कविता—
‘कोई चलता पगचिह्नों पर, कोई पग चिह्न बनाता है।
पगचिह्न बनाने वाला ही दुनिया में पूजा जाता है।’ 
वास्तव में उन्होंने हर क्षेत्र में पगचिह्न ही बनाए हैं। प्रस्तुत ‘संजीवनी’ ग्रंथ भी दरकते मानव मूल्यों को पुनः स्थापित और संपोषित करके, पगचिह्न बनाने का काम करेगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। दरकते मानव-मूल्यों की पुनर्प्रतिष्ठा का प्रयास निश्चित रूप से वंदनीय और प्रशंसनीय है।

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अनुक्रम

अभिकथन—Pgs.5

अनुशीलन—Pgs.7

भूमिका—Pgs.21

वंदना—Pgs.31

विसंगति—Pgs.33

तृष्णा—Pgs.34

निंदा—Pgs.36

पाप—Pgs.38

दुर्जन—Pgs.40

मानव—Pgs.43

भगवान्—Pgs.48

धर्म—Pgs.51

सनातन धर्म—Pgs.57

धीर—Pgs.63

क्षमा—Pgs.65

दम—Pgs.67

इंद्रिय निग्रह—Pgs.69

सत्य—Pgs.74

अक्रोध—Pgs.77

विद्या—Pgs.79

शुचिता—Pgs.81

शील—Pgs.84

त्याग—Pgs.86

दया—Pgs.88

आपद्ध‍र्म—Pgs.90

दान—Pgs.92

सत्संग—Pgs.96

परोपकार—Pgs.99

ज्ञान—Pgs.103

कर्म—Pgs.108

उद्यम—Pgs.119

नियमन—Pgs.122

नीति—Pgs.124

कीर्ति—Pgs.135

एकता—Pgs.137

आर्य—Pgs.139

राष्ट्र—Pgs.141

परिवार—Pgs.144

माता-पिता—Pgs.147

नारी—Pgs.154

मित्र—Pgs.158

प्रेम—Pgs.160

वृत्ति—Pgs.164

स्वभाव—Pgs.167

सुख-दुःख—Pgs.169

पराक्रम—Pgs.171

महत्ता—Pgs.173

The Author

Dr. Ravindra Shukla ‘Ravi’

डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ‘रवि’
चैत्र शुक्ल चतुर्दशी संवत् २०११ तदनुसार १७ अप्रैल, १९५४ को फर्रुखाबाद जनपद के काली नदी के समीपस्थ छोटे से गाँव रायपुर में जन्मे परम प्रज्ञ आचार्य डॉ. रवीन्द्र शुक्ल क्रांतिकारी स्वभाव एवं राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत, ओजस्वी वक्ता, गंभीर चिंतक, संपादक, इतिहास और शास्त्रों के गंभीर अध्येता हैं। भारतीय दर्शन पर उनकी अपूर्व पकड़ है। आपातकाल के दौरान उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा, उस समय वे मात्र २१ वर्ष के थे। वह झाँसी से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चार बार प्रतिनिधि चुने गए। कृषि राज्य मंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री के रूप में आपने अपनी कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ी है। स्कूलों में वंदे मातरम् गीत की अनिवार्यता के ऐतिहासिक निर्णय के कारण उन्हें मंत्री पद गँवाना पड़ा था, किंतु उन्होंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
अपनी प्रथम काव्य कृति ‘संकल्प’ से आरंभ साहित्यिक यात्रा ‘माँ’, ‘नगपति मेरा वंदन ले लो’, ‘वंदे भारत मातरम्’ तथा राम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न पर विश्व का एकमात्र ग्रंथ महाकाव्य ‘श्री शत्रुघ्न चरित’ का प्रणयन करती हुई प्रस्तुत दर्शन दोहावली ‘संजीवनी’ तक पहुँची है। चिंतन और शोधपरक गद्य कृतियाँ ‘शिक्षा की प्राण प्रतिष्ठा’ एवं ‘वर्ण व्यवस्था की मौलिक अवधारणा और विकृति’ उनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं परम प्रज्ञ होने का शंखनाद करती है।

 

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