₹400
"इस पुस्तक की अपनी विशेषताएँ हैं। वही सांस्कृतिक पुनरोत्थान के इस नए चरण की भी विशेषताएँ हैं। वे क्या हैं? पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री निरंतर भारतीय संस्कृति की मौलिक विशेषताओं को पूरी आस्था से देश-दुनिया को समझा रहा है। यह एक बड़ा सुखद अचंभा है। संसदीय राजनीति में क्या पहले कभी भारत में ऐसा हुआ है! ऐसा सुखद अचंभा श्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं, क्योंकि उनमें साधक बुद्धि है। आस्तिक चित्त है। इनके समन्वय की उपज स्वरूप उनके ऊँचे मनोभाव के उद्गार हैं, जिसमें 'मैं निमित्त हूँ' की भावना है। यही वे मौलिक विशेषताएँ हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों से इस पुस्तक में प्रकट हो रही हैं। इसमें सहज बोध और शास्त्र बोध का बढ़िया मेल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृति विमर्श में सृजनात्मक आयाम जोड़े हैं। जैसे संस्कृति क्या है? संस्कृति के अध्ययन की पद्धति क्या हो? समाज और परंपरा से प्राप्त किस गुण को संस्कृति कहेंगे ? संस्कृति संबंधी सूचनाओं के स्रोत को कैसे जानें ? संस्कृति के मुद्दे और अवधारणाएँ क्या होनी चाहिए? संस्कृति से नियंत्रित होने का मनोभाव कैसे पैदा करें ? इस तरह यह पुस्तक भारत की सनातन संस्कृति के मौलिक सिद्धातों का समसामयिक निरूपण है। इससे भारतीय संस्कृति के अर्थ में विस्तार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन भाषणों को पढ़कर कोई भी भारतीय संस्कृति के मर्म और मूल्य को आत्मसात् कर सकता है।
- पुरोकथन से"