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"प्रस्तुत पुस्तक भारतीय समाज के उन आयामों को स्पर्श करते हुए उनका जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है, जो उपेक्षित या ओझल रहे हैं। इनमें विमर्श की प्रकृति, धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विभिन्न आयाम, विऔपनिवेशीकरण इत्यादि प्रमुख हैं। पुस्तक की विशेषता है कि इसमें हर पग पर ऐतिहासिक संदर्भों के अनछुए तथ्यों को बहुत ही कलात्मक एवं रोचक तरीके से उद्धृत किया गया है।
यद्यपि यह लेखों का संग्रह है, परंतु तथ्यों एवं तर्कों के कारण यह पुस्तक मौलिक रूप में हमारे सामने आती है। देश-दुनिया के सामाजिक-साहित्यिक एवं राजनीतिक पात्रों जैसे कार्लाइल, गोर्की, गांधी, डॉ. हेडगेवार, बिपिन चंद्र पाल, राधा कुमुद मुखर्जी, माखनलाल चतुर्वेदी सहित सैकड़ों लोगों के जीवन-प्रसंगों का लेखक ने उपयोग किया है। यह पुस्तक भारतीय जीवन-दर्शन की एक प्रतिनिधि कृति की तरह है।"
जन्म : 5 सितंबर, 1964 को।
शिक्षा : बी.ए. (ऑनर्स, राजनीति विज्ञान) परीक्षा में दिल्ली विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान और एम.ए. (राजनीति विज्ञान, 1989) की परीक्षा में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान, स्वर्ण पदक से सम्मानित; एम.फिल. (दिल्ली विश्वविद्यालय)।
प्रकाशन : 2003 में ‘डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार’ के जीवन-चरित का पाँच भाषाओं में प्रकाशन व ‘श्रीगुरुजी गोलवलकर और भारतीय मुसलमान’ का प्रकाशन तथा देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में स्तंभ-लेखन।
सम्मान : ‘बिपिन चंद्र पाल स्मृति सम्मान’ (2001)।
संप्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय (मोतीलाल नेहरू कॉलेज, सांध्य) में प्राध्यापन।