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न संस्कृति कोई भौतिक वस्तु है; न समाज; न इतिहास प्रदत्त। किसी विशिष्ट मानव समुदाय की सांस्कृतिक विशेषता उसके प्राणिक भौतिक रूप से अथवा व्यावहारिक संबंधों की रचना से निर्गलित होती है। वस्तुतः मानव समाज की रचना के सूत्र भी जिस विधि-विधान में संगृहीत होते हैं, उसका आधार मूल्यचेतना ही होती है। मूल्यचेतना निरपेक्षविधि यांत्रिक और अमानवीय होगी। इस मूल्यचेतना में ही संस्कृति का उत्स है। इस तरह संस्कृति अपने मूल रूप में ऐसी चेतना है, जो अनित्य व्यक्ति-सत्ता और ऐतिहासिक-सामाजिक सत्ता का अतिक्रमण करती है, किंतु जिसकी अभिदृष्टि से सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन मूल्यवान होते हैं। रचनानुभूति और अंतरंगसाधना से उच्छलित हो, संस्कृति एक संदेश के रूप में प्रवाहित होती है।
—इसी पुस्तक से
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs.5
संपादकीय —Pgs.13
1.समसामयिक भारतीय संस्कृति का आधार—गोविंद चंद्र पांडेय —Pgs.19
2.समकालीन कविता—अशोक वाजपेयी —Pgs.31
3.कवि की दृष्टि व्यापक होनी चाहिए—सुरेश चंद्र पांडेय —Pgs.54
4.संस्कृत भाषा का वैशिष्ट्य—वेम्पटि कुटुंब शास्त्री —Pgs.57
5.भक्तिकाव्य और तुलसी—अनंत मिश्र —Pgs.62
6.भारतीय भाषा चिंतन—माणिक गोविंद चतुर्वेदी —Pgs.70
7.भारतीय संस्कृति की सामासिकता और हिंदुत्व पर पुनर्विचार—अंबिका दत्त शर्मा —Pgs.78
8.संस्कृति और कला का अंतर्संबंध—कपिल तिवारी —Pgs.86
9.संस्कृत का वैश्विक स्वरूप—अभिराज राजेंद्र मिश्र —Pgs.92
10.भाषा, अध्ययन की परंपरा और संस्कृति—कमलेश दत्त त्रिपाठी —Pgs.99
11.शिक्षा और संस्कृति—कपिल कपूर —Pgs.106
12.साहित्य और संस्कृति—रामदेव शुक्ल—Pgs. 117
13.पाणिनीय भाषा-चिंतन : संदर्भ अष्टाध्यायी—श्रीनिवास वरखेड़ी —Pgs.133
14.राष्ट्र, राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद—पांडेय शशिभूषण ‘शीतांशु’ —Pgs.138
15.गांधी की प्रासंगिकता व संभावना : हमारी जिम्मेदारी—सुधीर चंद्र —Pgs.159
16.संस्कृति और धर्म का अंतर्संबंध—अच्युतानंद मिश्र —Pgs.166
व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ताओं का परिचय एवं आयोजन का विवरण —Pgs.169
डॉ. दयानिधि मिश्र
जन्म : 01 अक्तूबर, 1948, गोरखपुर।
प्रारंभ में गोरखपुर विश्वविद्यालय सहित विभिन्न महाविद्यालयों में अध्यापन। भारतीय पुलिस सेवा से अवकाश प्राप्त। सचिव, विद्याश्री न्यास। अध्यक्ष, श्रीभारत धर्म महामंडल। न्यासी, वेणी माधव ट्रस्ट। सचिव, श्रद्धानिधि न्यास। सचिव, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ भारतीय शोध संस्थान न्यास समिति। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों, व्याख्यानों, सम्मान-समारोहों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नियमित आयोजन।
संपादन : अक्षर पुरुष; भाषा, संस्कृति और लोक; गंगा तट से भूमध्यसागर तक; विद्यानिवास मिश्र संचयिता; इतिहास, परंपरा और आधुनिकता; लोक और शास्त्र : अन्वय और समन्वय; साहित्य में नारी चेतना; हिंदी साहित्य में सांस्कृतिक संवेदना एवं मूल्यबोध; क्या पूरब, क्या पश्चिम; श्रीकृष्ण रस; मौन की अभिव्यंजना अज्ञेय; धर्म की अवधारणा; गवेषणा।
संप्रति : विद्यानिवास मिश्र रचनावली (21 खंडों में) का संपादन।
सम्मान : राष्ट्रपति पुलिस पदक, भाषा सम्मान, सेवक स्मृति साहित्य सम्मान एवं वासुदेव द्विवेदी सम्मान। वाराणसी में निवास।
मोबाइल : 9453002924