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Sanskriti Se Nikalati Rahen   

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Author Ramnaresh Kushwaha
Features
  • ISBN : 9789380183220
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Ramnaresh Kushwaha
  • 9789380183220
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 120
  • Hard Cover

Description

हमारा देश अनेक धर्मों एवं जातियों में विभक्त है और सैकड़ों पंथ अपने-अपने दृष्टिकोण से समाज को सुदृढ़ बनाने में प्रयासरत हैं। पर आज भी हमारा समाज अनेक कुरीतियों से ग्रस्त है और आएदिन मनुष्य लालचवश तंत्र-मंत्र एवं तांत्रिकों के चक्कर में फँसकर धन-हानि क्या, प्राण-हानि तक कर डालता है। बाह्य सुख-सुविधाएँ अधिक-से-अधिक प्राप्त करने की जैसे होड़ लगी हुई है। इन सबके बीच व्यक्ति अपने आपको, अपनी अंतश्चेतना को बिलकुल भुला बैठा है। वह एक यांत्रिक प्राणी बनकर केवल भौतिक साधनों की अंधी दौड़ में दौड़ लगा रहा है।
संस्कृति से निकलती राहेंहमारे प्राचीन वाङ्मय और धर्म-दर्शन से नि:सृत ज्ञान की अजस्र धारा में हमारा प्रवेश कराती है। यह हमारे मनीषियों, संत-महात्माओं और महापुरुषों के वचनों में उच्चारित हमारी गौरवपूर्ण संस्कृति से हमारा परिचय कराती हुई आत्मिक चेतना, जीवन-मूल्य और सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों का मार्ग प्रशस्त करती है।
भारतीय धर्म-दर्शन-संस्कृति की गौरवशाली परंपरा के आधार पर जीवन का सन्मार्ग प्रशस्त करनेवाली रोचक व ज्ञानवर्धक पुस्तक।

The Author

Ramnaresh Kushwaha

जन्म : 15 दिसंबर, 1962 को ग्राम ओसिया, पो. सफीपुर, उन्नाव (उ.प्र.) में।
बाल्यवस्था से ही साहित्यिक अभिरुचि। विद्यार्थी काल से ही पुस्तकों का पठन-पाठन व लेखन। एक उपन्यास ‘अतीत की राधा’ प्रकाशित। धर्म, अध्यात्म व संस्कृति में गहन आस्था। उक्‍त विषयों पर सामाजिक चर्चा-परिचर्चा एवं प्रवचन कार्य भी।
वर्तमान में : सामाजिक कार्यों में रुचि के साथ स्वतंत्र लेखन में कार्यस्त।

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