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Sanskritik Prateek Kosh   

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Author Shobh Nath Pathak
Features
  • ISBN : 9788173152764
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shobh Nath Pathak
  • 9788173152764
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 380
  • Hard Cover

Description

भारतीय धर्म दर्शन, साहित्य, कला आदि अतीत से ही विश्‍‍व के विद्वानों, जिज्ञासुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं । हमारी संस्कृति अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण अतीत से अब तक यथावत् बनी हुई, अजर और अमर है ।
हिंदू जैन, बौद्ध, सिख आदि धर्मों के पालन में जो परिपक्वता, पवित्रता, वैज्ञानिकता, एकाग्रता, आत्मोन्नति के उपाय, इंद्रियों पर संयम एवं आत्मशुद्धि से सर्वांगीण विकास के संबल सुलभ कराए गए हैं, उनमें प्रमुखत: एकरूपता एवं समानता ही है । इस परिप्रेक्ष्य में प्रयुक्‍‍त पूजा, उपासना, अनुष्‍‍‍ठान तथा विविध पद्धतियों में प्रयुक्‍त प्रतीक, उपकरण, परंपराओं आदि की अद्वितीय एकरूपता है; यथा- कलश नारियल रथ माल तिलक स्वस्तिक, श्री, ध्वज, घंटा-घंटी, शंख, चँवर, चंदन, अक्षत, जप, प्रभामंडल, ॐ , प्रार्थना, रुद्राक्ष, तुलसी, धर्मचक्र, आरती, दीपक, अर्घ्य, अग्नि, कुश, पुष्प इत्यादि । इनकी समानता हमें समन्वयात्मक भावना के सुदृढ़ीकरण का संबल प्रदान करती है, जिसकी महत्ता को हमें परखना चाहिए और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखते हुए अपने एवं समाज के सर्वांगीण विकास के लिए इसे अपनाना चाहिए ।
हमारी संस्कृति के सूत्रधारों, तत्त्ववेत्ता ऋषि-मुनियों तथा मनीषी-विद्वानों ने अपनी कठोर तपस्या एवं प्रखर पांडित्य से पखारकर जो ज्ञान की थाती हमें सौंपी है; हमारे जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए जो विधि- विधान बनाए हैं, बताए हैं तथा जो पावन परंपराएँ प्रचलित की हैं, उनका गूढ़ रहस्य समझकर हमें अपनाना चाहिए । ये ही हमारे बहुमुखी विकास की आधारशिलाएँ हैं तथा इन्हीं पर भारतीय संपदा एवं संस्कृति का भव्यतम प्रासाद प्रतिष्‍ठ‌ित होकर प्राणियों के कल्याण का आश्रयस्थल बन सकता है ।
अपनी थाती को परखकर अपनाने का आह्वान ही इस पुस्तक की सर्जना का उद‍्देश्य है । '

The Author

Shobh Nath Pathak

जन्म : 23 नवंबर 1937
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (संस्कृत) एम.ए., साहित्य रत्‍न (हिंदी), आयुर्वेद रत्‍न 7
प्रमुख प्रकाशन : सत्रह पुस्तकें प्रकाशित ।
अखिल भारतीय प्राच्य विद्या परिषद् के विगत छह अधिवेशनों में संबंधित विश्‍‍वविद्यालयों से शोधपत्र प्रकाशित ।
देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में ढाई हजार से अधिक लेख, निबंध, शोध लेख आदि प्रकाशित ।
मॉरीशस की राजधानी पोर्टलुई से अंतरराष्‍ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर 1973 में समाज के श्रेष्‍ठ मंतव्य पुस्तिका का प्रकाशन ।
मॉरीशस की सांस्कृतिक पत्रिका ' अनुराग ' एवं पत्र ' जमाना ' में कई रचनाएँ प्रकाशित ।
विशेष : देश-विदेश की अनेक सांस्कृतिक- साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध ।
देश-विदेश में विशेष व्याख्यान ।
आकाशवाणी से नियमित वार्त्ताओं का प्रसारण ।
विशेष ग्रंथों का संपादन व प्रकाशन ।
अखिल भारतीय प्राच्य विद्या परिषद् और विश्‍व संस्कृत सम्मेलन के सदस्य ।

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