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"अयोध्या-जहाँ चेतना, भक्ति और साधना का महासागर प्रवाहित होता है। यह मात्र एक नगर नहीं, बल्कि सनातन चेतना का एक ध्रुव केंद्र है। ऋषियों, मुनियों, योगियों और संतों के चरणों से पावन हुई इस भूमि की गुरुता अद्वितीय है। इसी पावन भूमि पर जनमे, तपे और विलीन हुए संतों की गाथाएँ कभी शब्दों से बँधी नहीं, फिर भी उनकी आभा अमिट रही।
'संतों में ध्रुव तारे' उन संतों की दिव्य उपस्थिति को रेखांकित करने का एक विनम्र प्रयास है, जिनकी साधना ने समय के प्रवाह में अयोध्या को आलोकित रखा। यह पुस्तक उन संतों के पदचिह्नों को खोजने का प्रयत्न है, जिन्होंने संसार में रहते हुए भी स्वयं को संसार से विलग रखा। वे पक्षियों की भाँति आए, अपने स्वर और साधना के मधुर झंकार बिखेरकर अंततः अंतरिक्ष में विलीन हो गए।
इस ग्रंथ में उन संतों की साधना, तपस्या और आध्यात्मिक आभा का समावेश है, जो न केवल अयोध्या, बल्कि समस्त भारतीय चेतना के शाश्वत दीपक बने। वे संत, जो युगों-युगों तक संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणास्रोत बनकर मानवता के मार्ग को प्रकाशित करते रहेंगे। यह पुस्तक मात्र जीवनियों का संकलन नहीं, बल्कि संत-तत्त्व का अनुभव है, जो पाठक को ध्यान, भक्ति और आत्मबोध की यात्रा पर ले जाता है।"