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एक बार आप खुद को विस्तार देते हुए सही दिशा में कदम उठाएँ तो आपका जीवन स्वत: दिन-ब-दिन अधिक बड़ा, बेहतर और ऊँचा मुकाम पाता जाएगा। जैसा कि रॉबर्ट एच. शुलर ने कहा था—“एक बार शुरू होने के बाद सफलता कभी रुकती नहीं, क्योंकि सफलता अनंत है। यहाँ तक कि सूरज का डूबना बीते हुए दिन का अंत नहीं है, क्योंकि वह दिन अटल इतिहास का एक हिस्सा बनते हुए शाश्वत हो चुका है।” तो अपनी सफलता और अपने जीवन को वास्तव में आरंभ होने दीजिए; क्योंकि एक बार ऐसा होने पर वह कभी समाप्त नहीं होगा। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपने आपको विकसित कीजिए। राह के हर रोड़े को अपनी सीढ़ी बना लीजिए। अगर आप गहराई से मनन करेंगे तो जानेंगे कि और कोई नहीं, बल्कि आप ही खुद को आगे धकेलते हैं और आप ही खुद को पीछे खींचते हैं। आपके जीवन और आपकी सफलता का दायित्व पूरी तरह आप पर है। जैसा कि कहा जाता है—‘एक पहाड़ और बड़ा नहीं हो सकता, लेकिन आप हो सकते हैं!’ इसलिए अपना विस्तार करें। अपने आपको किसी भी पहाड़ से बड़ा बनाएँ और अपने सपनों को साकार करें। विश्वास कीजिए, आप यह बखूबी कर सकते हैं।
डेनवेर विश्वविद्यालय, कोलोराडो से पुस्तक प्रकाशन का कोर्स करने के बाद एक पांडुलिपि संपादक तथा वर्ष 2003 में ग्रासिम मिस्टर इंडिया में प्रथम रनर अप मिस्टर फोटोजेनिक बने। वास्तव में परिवर्तन ही विक्रांत के जीवन में स्थायी रहा है। उन्होंने 13 विविध क्षेत्रों में हाथ आजमाया—एक लेखक, संपादक, प्रकाशक, फोटोग्राफर, मॉडल, अभिनेता, निर्देशक, अंक ज्योतिषी, वॉयस ओवर आर्टिस्ट, कम्युनिकेशन प्रशिक्षक, स्तंभकार, पटकथा लेखक, प्रेरक—और इन सब में भरपूर सफलता पाई। उनकी पहली तीन पुस्तकें ‘मॉडल ड्रीम्स’, ‘शूटिंग फ्रॉम द लिप’, ‘गॉड स्पीक्स इन नंबर्स’ अकाल्पनिक थीं; जबकि चौथी पुस्तक ‘एंड द शो गोज् ऑन’ एक लघुकथा संकलन थी। इसके अलावा अपनी पत्नी की कॉफी टेबल पुस्तक ‘दि आई ऑफ इटेमिटी’ का संकलन किया है। चार निजी फोटोग्राफिक कॉफी टेबल पुस्तकों ‘द रॉयल सागा’, ‘लगीन’, ‘द रेड लेटर डे’, ‘स्टनिंग’ का लेखन किया है और भारत तथा दुबई में अपने फोटोग्राफों की प्रदर्शनी की है। यह उनकी दसवीं पुस्तक है। उनका विवाह लाइफस्टाइल फोटोग्राफर रौनिका कंधारी से हुआ है और वह नई दिल्ली में रहते हैं।