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सेवा परमो धर्मः
मानव जीवन का सर्वोच्च ध्येय है परोपकार अर्थात् दूसरों की सेवा करना। यह सदैव हमारा कर्तव्य रहा है कि हम जरूरतमंद की सहायता करें और उनके जीवन में खुशियाँ लाने का प्रयास करें। जब हम अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करते हैं तब हमें वास्तविक सफलता और संतुष्टि प्राप्त होती है।
यह पुण्य कार्य केवल धन-संपदा से नहीं, अपितु सहानुभूति, करुणा और समर्पण भावना से संपन्न होकर किया जा सकता है।
सफलता की प्राप्ति किसी शॉर्टकट से नहीं होती, बल्कि यह कठोर परिश्रम, अटूट जुनून और दृढ़ संकल्प का फल होती है।
जीवन में सच्ची सफलता वही प्राप्त करता है जो अपनी मंजिल के लिए संघर्ष करता है, निरंतर प्रयास करता है और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है।
नेतृत्व का सार केवल जोखिम उठाने में नहीं, अपितु यथास्थिति को चुनौती देने और परिवर्तन लाने में निहित है ।