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Saptkranti Ke Samvahak Jannayak Karpuri Thakur Smriti Granth Vol-1   

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Author Naresh Kumar Vikal , Harinandan Saha
Features
  • ISBN : 9789353222512
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Naresh Kumar Vikal , Harinandan Saha
  • 9789353222512
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 380
  • Hard Cover
  • 500 Grams

Description

भारतीय वाङ्मय में महापुरुषों के जीवन-वृत्त पर, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित, आधृत अभिनंदन-ग्रंथ और स्मृति-ग्रंथ समर्पित करने की एक सुदीर्घ एवं समृद्ध परंपरा रही है, ताकि भावी पीढ़ी, जन-मानस अभिनंदित, स्मारित व्यक्ति कृत्यों, कृतियों व आदर्शों से प्रेरणा ग्रहण कर सके, उनके विराट् व्यक्तित्व में अपने को सन्निहित करने के लिए हृदयंगम कर सके।
किस तरह एक व्यक्ति सार्वजनिक जीवन के प्रश्नों को, संघर्षों को कभी व्यक्तिगत आरोहों-अवरोहों से संलिप्त, संपृक्त नहीं कर पाया। सामाजिक न्याय और समाजवाद के लिए अपनी उत्सर्गता के लिए विख्यात जनप्रिय इस व्यक्ति ने पीडि़त मानवता के उद्धार के लिए, जनता की अमूर्त भावनाओं को परखकर सियासत करने के लिए और उसे मूर्त रूप देने के लिए क्या कुछ किया, उसका अनुपम प्रत्यक्ष कराना ही इस स्मृति-ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य है।
इसी अभीष्ट की अभिपूर्ति के लिए, महात्मा गांधी के त्याग, आंबेडकर के सिद्धांत, लोहिया के सद्विचार और जे.पी. की संघर्षशीलता-धैर्यता के समवेत अंश जननायक कर्पूरी ठाकुर के समग्र पक्षों को दुर्लभ दस्तावेजों को सहेजने, समेटने, संकलित करने का सार्थक प्रयास है यह ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति-ग्रंथ’।
इस ग्रंथ में यह तथ्य सबों के समक्ष परोसने की चेष्टा की गई है कि इस शब्दपुरुष ने अपने संबोधन में प्रेरणा की ज्योति को किस तरह छिटकाया, बलिदानी राष्ट्रनायकों को भी किस तरह नमन किया!
यह सर्वमान्य सत्य है कि जननायक के अंतस में लोकमंगल की सुदृढ़ भावना एक स्थायी भाव के रूप में विराजमान रहती थी, उनका यह अंतर्भाव अनायास संबोधित समाज तक संक्रमित हो जाता था। जनता में उनकी अपार आस्था, श्रद्धा और अटल विश्वास को भावी इतिहास पीडि़त मानवता के पृष्ठों पर असीम ऊर्जा और कर्मठता से लिखेगी।
भारतीय राजनीति और सामाजिक सद्भाव को समर्थता प्रदान करने में इस देदीप्यमान नक्षत्र के विभिन्न आयामों का दिग्दर्शन कराना इस स्मृति-ग्रंथ का अभिप्राय है।
इस स्मृति-ग्रंथ में सहज-सरल भाषा में व्यक्त रचनाएँ सामान्य साक्षर जनों तक लोकदेव कर्पूरी ठाकुर की सर्जनात्मक क्षमता, व्यक्तित्व की विशालता को प्रभावी स्वर प्रदान करने में सर्वभावेन समर्थ होती जान पड़ती है।

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अनुक्रम

शुभकामना-संदेश  —Pgs. 5-21

प्रस्तावना  —Pgs. 23

प्रधान संपादक के उद्गार  —Pgs. 35

पुरोवाक्  —Pgs. 39

प्रथम परिच्छेद : काव्यांजलि  —Pgs. 47-75

द्वितीय परिच्छेद : स्मृति-दर्पण  —Pgs. 77-378

 

The Author

Naresh Kumar Vikal

डॉ. नरेश कुमार विकल (प्रधान संपादक)
जन्म : भगवानपुर देसुआ, समस्तीपुर (बिहार)।
शिक्षा : एम.ए. (मैथिली-हिंदी)।
विशेष : प्राक्तन सलाहकार सदस्य, साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली।
विशेष : दर्जनाधिक पुस्तकें प्रकाशित। साहित्य अकादेमी एवं टेक्स्ट बुक कमिटी, बिहार से भी कई अभिनंदन-ग्रंथ, स्मृति-ग्रंथ, पत्र-पत्रिकाओं, स्मारिकाओं एवं जिला गजेटियर समस्तीपुर का संपादन। कई कैसेटों एवं फिल्मों के गीतकार।
सम्मान : देश की कई शीर्ष संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरस्कृत। कार्यकारिणी अध्यक्ष, भारतीय साहित्यकार संसद्। अध्यक्ष, गांधी स्मारक समिति, समस्तीपुर।
संपर्क : ‘विशाखा’, बारह पत्थर, समस्तीपुर (मिथिला)।

Harinandan Saha

हरिनंदन साह (संपादक)
पता : ग्राम+पो.-माधोपुर दिघरूआ, थाना-ताजपुर, जिला-समस्तीपुर-848122 (बिहार)।
शिक्षा/उपाधि : स्नातक, साहित्यालंकार, विद्यावाचस्पति।
प्रकाशन : काव्य संग्रह, कहानी-संग्रह सहित अन्य पुस्तकें तथा देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में एक सौ से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान-पुरस्कार : देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।
वृत्ति : वरीय सहकारिता प्रसार पदाधिकारी-सह-उप-प्राचार्य, सहकारिता प्रशिक्षण संस्थान, पूसा (बिहार) के पद से सेवानिवृत्त होकर साहित्य एवं समाज की सेवा में रत।
दूरभाष : 9431089771, 8969913840

 

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