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‘गुरु ग्रंथ साहिब’ पर सरल परिचयात्मक पुस्तक सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने में मुझे एक आध्यात्मिक सुख और संतोष का अनुभव हो रहा है। ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ कोई जीवनी या कथा अथवा घटनाप्रधान ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह सिर्फ ईश्वर और जीवन-सिद्धांत की बात करनेवाली एक शुद्ध आध्यात्मिक कृति है। सिख गुरुओं के उल्लेख के बिना ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ का कोई भी उल्लेख अधूरा है। अतः इस पुस्तक में मैंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की संरचना, स्वरूप, संगीत, सिद्धांत और दर्शन को गुरुवाणी के उद्धरणों सहित सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास के साथ-साथ दस सिख गुरुओं और इस पवित्र कृति के वाणीकार अन्य संतों-भक्तों का संक्षिप्त परिचय देकर तथा साथ ही सिख धर्म के बारे में बुनियादी जानकारी प्रदान करके प्रस्तुत पुस्तक को किंचित् ठोस रूप देने का प्रयास किया है। अंतिम अध्याय में मैंने गुरुवाणी-सागर से कुछ चुनिंदा रत्न सरल शब्दार्थ सहित विषयवार प्रस्तुत किए हैं, जिनसे जिज्ञासु पाठकों को और अधिक सरलता से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के सिद्धांत को समझने में मदद मिलेगी।
—जगजीत सिंह
जन्म : 9 जुलाई, 1955, दिल्ली।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली वि. वि.)।
कृतित्व : पर्यावरण, महिला व बाल विकास तथा अन्य सामाजिक व सामयिक विषयों पर हिंदी एवं अंग्रेजी के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में पिछले दो दशक से नियमित लेखन। बच्चों के लिए कहानियाँ, यात्रा-वृत्तांत और रिपोर्ताज भी लिखे। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ समूह (मदुरै) द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक ‘India At 50’ में ‘भारत में शिक्षा’ पर विस्तृत लेख। ‘सरल गुरु ग्रंथ साहिब एवं सिख धर्म’, ‘मानवाधिकार : वायदे और हकीकत’, ‘दिवंगत बेटियाँ’ (देश-विदेश में बच्चियों की हत्या एवं भू्रण-हत्या के कारणों और नतीजों का खुलासा), ‘प्रगट गुराँ की देह’ (पंजाबी में), ‘साहिबजादों की लासानी शहीदी’, ‘कुछ पहलू, कुछ प्रसंग’, ‘गुरु ग्रंथ साहिब : स्वरूप, संरचना और सिद्धांत’ सहित बच्चों के लिए सात पुस्तकें।
पुरस्कार : हिंदी में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य तथा कृषि संगठन द्वारा ‘विश्व खाद्य दिवस पुरस्कार’ से सम्मानित।
संप्रति : राज्यसभा सचिवालय में संपादक।