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बाल-वर्ग के मनोरंजन एवं ज्ञानवर्द्धन के लिए ‘सरस बाल-बूझ पहेलियाँ’ एक सरल, सहज, सुलभ एवं सस्ता साधन है। कारण यह है कि इनके लिए न कोई संसाधन अपेक्षित है और न कोई मैदान। इसी कारण ‘अमीर खुसरो’ के समय से आज तक ये ‘बूझ पहेलियाँ’ बाल जगत् में अजस्र रूप से प्रवाहित हैं।
‘ ‘सरस’ बाल-बूझ पहेली’ पुस्तक में ‘एक सौ पहेलियाँ’ उस बाल-वर्ग के लिए हैं, जो अभी ज्ञानार्जन के पहले, दूसरे और तीसरे सोपान पर हैं। ये एक सौ पहेलियाँ 4 पंक्तियों के आकार में सीमित हैं और प्रायः प्रत्येक पंक्ति, अभीष्ट उत्तर की ओर संकेत करती है।
शेष 85 पहेलियाँ, जो आकार में ‘गीत पहेली’ जैसी हैं, वे उन बड़े और समझदार बच्चों के लिए हैं, जो प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत हैं। इनमें से ‘पर्यायवाची’ एवं ‘तुकांत शब्दों’ पर आधारित पहेलियाँ बच्चों के शब्द-भंडार को बढ़ाने और साहित्यिक अभिरुचि पैदा करने में सहायक सिद्ध होंगी। किसी भी पहेली को दो पंक्तियों में समेटकर जटिल बनाने का प्रयास नहीं किया गया है।
हर बालक के लिए उपयोगी एवं पठनीय पुस्तक।
शिवअवतार रस्तोगी ‘सरस’
जन्म : 04 जनवरी, 1939, संभल (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, संस्कृत) सा. रत्न, बी.टी.; तदुपरांत शिक्षण कार्य (1958-1997)।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘पंकज-पराग’, ‘हमारे कवि और लेखक’, ‘अभिनव-मधुशाला’, ‘नोंक-झोंक’, ‘सरस-संवादिकाएँ’, ‘पर्यावरण-पचीसी’, ‘मैं और मेरे उत्पे्ररक ग्रंथ’। अनेक पाठ्य-पुस्तक का लेखन। कई पत्रिकाओं एवं स्मारिकाओं के संपादन से जुड़े रहे। आकाशवाणी रामपुर से वार्त्ता एवं काव्य-पाठ का प्रसारण। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित।
संपर्क : ई-62 वेब ग्रीन, रामगंगा विहार-II, मुरादाबाद-244001
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