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Saraswati Vandana Shatak   

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Author Acharya Mayaram Patang
Features
  • ISBN : 9789382901686
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Acharya Mayaram Patang
  • 9789382901686
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 172
  • Hard Cover

Description

विद्या की देवी वीणापणि माँ सरस्वती की स्तुति हेतु संकलित ये वंदनाएँ गेय भी हैं और प्रेरणादायी भी।
महाप्राण निराला और राष्‍ट्रकवि दिनकर से लेकर नवोदित कवियों तक का यह संकलन हिंदी साहित्य में एक नया सोपान है, एक नई उपलब्धि है । पुस्तक में कुल सत्तानबे प्रतिष्‍ठ‌ित कवियों की चुनी हुई वाग्देवी माँ सरस्वती की वंदनाएँ हैं । ' सरस्वती वंदना शतक ' में संकलित सरस्वती चालीसा, सरस्वती महिम्न स्तोत्र और सरस्वती सहस्रनाम पुस्तक की उपादेयता को बढ़ा रहे हैं । भन्न- भन्न लय -छंदों में रचित इन वंदनाओं का वशिष्‍ट सांगीतिक महत्त्व है । यह पुस्तक विद्यालयों, महाविद्यालयों, पुस्तकालयों, विद्यार्थियों, शिक्षको, विद्वानों, साहित्यकारों हेतु अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा हमारा विश्‍वास है ।

The Author

Acharya Mayaram Patang

जन्म : 26 जनवरी, 1940; ग्राम नवादा, डा. गुलावठी, जिला बुलंदशहर।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), प्रभाकर, साहित्य रत्‍न, साहित्याचार्य, शिक्षा शास्‍‍त्री।
कृतित्व : ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘चहकीं चिडि़याँ’ (कविता); ‘अच्छे बच्चे सीधे सच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘सदाचार सोपान’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’ (नैतिक शिक्षा); ‘व्याकरण रचना’ (चार भाग), ‘ऑस्कर व्याकरण भारती’ (आठ भाग), ‘भाषा माधुरी प्राथमिक’ (छह भाग), ‘बच्चे कैसे हों?’, ‘शिक्षक कैसे हों?’, ‘अभिभावक कैसे हों?’ (शिक्षण साहित्य); ‘पढ़ैं नर-नार, मिटे अँधियार’ (गद्य); ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘सरस्वती वंदना शतक’, ‘हमारे विद्यालय उत्सव’, ‘श्रेष्‍ठ विद्यालय गीत’, ‘चुने हुए विद्यालय गीत’ (संपादित); ‘गीतमाला’, ‘आओ, हम पढ़ें-लिखें’, ‘गुंजन’, ‘उद‍्गम’, ‘तीन सौ गीत’, ‘कविता बोलती है’ (गीत संकलन)।सम्मान : 1996 में हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा सम्मानित; 1997 में दिल्ली राज्य सरकार द्वारा सम्मानित।
संप्रति : ‘सेवा समर्पण’ मासिक में लेखन तथा परामर्शदाता, राष्‍ट्रवादी साहित्यकार संघ (दि.प्र.) के अध्यक्ष; संपादक ‘सविता ज्योति’।

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