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‘सर्वप्रिय अटलजी’ पुस्तक अटल बिहारीजी की जीवन यात्रा का प्रामाणिक लेखा-जोखा है। अटल शब्द सामने आते ही हमारे मन-मस्तिष्क के पटल पर एक ऐसी छवि उभरकर सामने आ जाती है, जो ओजस्वी आभा से ओत-प्रोत है। उनका गुलाब सा खिला चेहरा, विराट् व्यक्तित्व किसी देवदूत की उपस्थिति का भान कराते हैं। एक राजनीतिक और सच्चे इनसान के रूप में उनकी जीवन-यात्रा एक युग को समेटे हुए है। भारत सरकार उनके योगदान के लिए ‘भारत-रत्न’ राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित कर स्वयं ही सम्मानित हुई है। अटलजी को प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कार्यों के लिए इतिहास सदैव याद रखेगा। अटलजी का व्यक्तित्व विभिन्नताओं से परिपूर्ण है। कवि के रूप में जहाँ उनका कोमल मन हृदयस्पर्शी मनोभावों को उद्वेलित करता है, वहीं संसद् में देश और समाज के प्रति कुटिल चाल चलनेवाले लोगों को अपनी ओजस्वी और सारगर्भित वाणी से शर्मसार कर देता है। उन्होंने एक ईमानदार, निष्ठावान, सजग-प्रहरी, प्रतिबद्ध राजनेता के रूप में एक मिसाल कायम की है। वे हमारे अजस्र प्रेरणास्रोत है। उनका जीव दर्शन न वरन् भारतवासियों के लिए, अपितु पूरे भूमंडलवासियों के लिए एक जीवंत दस्तावेज के रूप में अपनाया जाएगा। उनका लक्ष्य ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ था। हम भारतवासी उनके दीर्घ व यशस्वी जीवन की कामना करते हैं।
यह पुस्तक राजनीतिज्ञों, शोधार्थियों एवं अन्य जिज्ञासुओं के लिए एक संदर्भग्रंथ सिद्ध होगी, मेरा विश्वास है।
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अनुक्रम
भूमिका—7
आमुख—9
प्रस्तावना—11
1. अटल बिहारी वाजपेयी : परिचयात्मक विवेचना—17
2. अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा का क्रमिक विकास—32
3. राजनीति में नवयुग का प्रयोग—67
4. भारतीय राजनीति में नवगठित दल—71
5. अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक सक्रियता—85
6. अटलजी की अनोखी कार्यशैली—104
7. देश की अखंडता के प्रति अटल बिहारी वाजपेयी का चिंतन—132
8. देशहित में कठोर कदम—137
9. अटलजी का प्रधानमंत्रित्वकाल : प्रमुख उपलब्धियाँ—171
10. अटल बिहारी वाजपेयी : जनसम्मान्य की दृष्टि में —182
11. उपसंहार—202
संदर्भ ग्रंथ-सूची—207
1 जुलाई, 1955 को आगरा की पावन भूमि पर जन्मे डॉ. सुरेश चंद को साहित्यिक अभिरुचि अपने पारिवारिक संस्कार और गुरुजन से प्राप्त हुई। साहित्य, पत्रकारिता और राजनीतिक में इनकी गहरी रुचि है। इसका आकलन इस पुस्तक में संकलित अटलजी की साहित्यिक और राजनीतिक यात्रा के समीक्षात्मक प्रस्तुतीकरण एवं शैली से किया जा सकता है। स्नातकोत्तर तक की शिक्षा आगरा में तथा वाणिज्यशास्त्र, मैनेजमेंट और बुक पब्लिशिंग में पी.जी. डिप्लोमा की डिग्री ली। सन् 2002 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
भारत सरकार एवं उ.प्र. सरकार के विभिन्न कार्यालयों में पदभार सँभाला तथा भारतीय इतिहास अनुसंधान पदिषद् दिल्ली में 1991 तक सहायक निदेशक के पद पर कार्य किया। तत्पश्चात् भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (नई दिल्ली) में व्यवसाय प्रबंधक के पद पर रहे। पुनः विशेष अधिकारी शिक्षा विभाग मानव संसाधन मंत्रालय (नई दिल्ली) में सेवारत रहे। विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में संस्मरणीय लेख आदि प्रकाशित।
जापान, थाईलैंड, बांग्लादेश, मिलान (इटली), हांगकांग, हनोई (वियतनाम), इंडोनेशिया, पुर्तगाल, सियोल (साउथ कोरिया), शंघाई (चाईना), फ्रैंकफर्ट (जर्मनी) आदि की यात्रा।
संप्रति विशेष अधिकारी, आध्यात्मिक उच्चशिक्षा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली।