₹300
एक जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता, प्रखर पत्रकार तथा मुद्दों एवं नैतिक मूल्यों की राजनीति करनेवाले गंभीर व्यक्तित्व के स्वामी श्री सरयू राय ने बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया। हालाँकि वर्ष 2000 में बिहार राज्य के पुनगर्ठन के बाद उन्होंने नवगठित राज्य झारखंड को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में चुना, मगर बिहार में आज भी
श्री सरयू राय आर्थिक और सामाजिक विषयों के ऐसे विशेषज्ञ के रूप में सराहे और याद किए जाते हैं, जिनके कार्यों और उपलब्धियों ने वहाँ की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है। संप्रति झारखंड मंत्रिपरिषद् में संसदीय कार्य, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री हैं।
इस पुस्तक में श्री सरयू राय के अभिनंदन समारोह के दौरान वक्ताओं के उद्बोधन को संपादित कर प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त समारोह में वक्ताओं के भाषण के क्रम में आए विभिन्न संदर्भों और तथ्यों को भी संकलित कर पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के रूप में शामिल किया गया है। ये संकलन बिहार के समसामयिक राजनीतिक और आर्थिक-सामाजिक इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज हैं, जो अलग-अलग समय में श्री सरयू राय के आलेखों, पत्रों, रिपोर्ट, बिहार विधान मंडल में उनके भाषणों एवं अखबार में कॉलम आदि के रूप में हैं।
यह पुस्तक बिहार तथा झारखंड के विषय में अभिरुचि रखनेवाले सुधी पाठकों, रचनाकारों, राजनीतिज्ञों तथा राजनीतिशास्त्र के शोधार्थियों के लिए रुचिकर, ज्ञानवर्धक एवं लाभप्रद सिद्ध होगी।
__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
पुस्तक परिचय — 5
एक नाम — कई आयाम — 7
स्वाभिमान के साथ राजनीति — 21
खंड-1
1. सरयू राय एक बहुआयामी व्यक्तित्व का अभिनंदन — 35
2. बौद्धिक नेतृत्व के प्रतीक — डॉ. राम वचन राय — 36
3. काम ज्यादा, बातें कम — अवधेश नारायण सिंह — 38
4. दलगत दायरे से बाहर — हरेंद्र प्रताप पांडेय — 41
5. ऐसा व्यक्तित्व आज दुर्लभ है — केदार नाथ पांडेय — 42
6. हम जैसों के लिए मार्गदर्शक हैं सरयू राय — रजनीश कुमार — 44
7. हर किसी को आदर देते हैं — मदन मोहन झा — 45
8. मंत्री से बड़ा है — सरयू राय का कद — नीतीश कुमार — 46
9. तो वर्ष 2000 में ही मंत्री बन गया होता — सरयू राय — 53
10. रायजी, जहाँ भी रहेंगे रोशनी बिखेरेंगे — सलीम परवेज — 59
खंड-2
• बिहार का विकास और पुनर्गठन — 63
• आर्थिक पैकेज की प्रासंगिकता — 80
खंड-3
• घपलों-घोटालों का आगाज — 109
• बिहार की आर्थिक स्थिति — 120
• केंद्र से हक लेने में विफल बिहार — 130
खंड-4
• स्वेज नहर जैसी लगती हैं ये सोन नहरें — 143
• सोन नदी आयोग को भंग करने के विरुद्ध पत्र — 147
• बाणसागर समझौते पर प्रधानमंत्री को पत्र — 153
खंड-5
स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना —
• World Bank is Responsible for delay — 159
• A Dam in Distress — 164
खंड-6
जे. पी. प्रतिमा निर्माण आंदोलन —
• जनरल एस. के. सिन्हा के नाम पत्र-1 — 171
• जनरल एस. के. सिन्हा के नाम पत्र-2 — 174
खंड-7
• पूर्वी भारत के राज्यों का आर्थिक संघ बने — 187
• उपसंहार — 192
आनंद कुमार
शिक्षा : प्राचीन भारत के इतिहास में राँची विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर; पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री तथा मार्केटिंग में एम.बी.ए.।
कृतित्व : हिंदी पत्रकारिता में 20 वर्ष का अनुभव। सन् 1996 में हिंदी दैनिक प्रभात खबर, राँची से प्रशिक्षु के रूप में पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद हिंदुस्तान, राँची तथा अमर उजाला, नोएडा में महत्त्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन। सन् 2008 में हिंदुस्तान, जमशेदपुर के संपादकीय प्रभारी बने। सन् 2010 में सक्रिय पत्रकारिता से विश्राम लेकर जनसंपर्क एवं जनसंचार का क्षेत्र चुना और एक निजी कंपनी में कॉरपोरेट कम्युनिकेशन झारखंड प्रमुख के रूप में सन् 2015 तक कार्य। इस दौरान स्थानीय अखबारों एवं सोशल मीडिया में समसामयिक विषयों पर नियमित लेखन। सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों, पर्यावरण एवं खेलों में गहरी रुचि। सन् 2016 के जून माह से ‘युगांतर प्रकृति’ नामक हिंदी मासिक पत्रिका का संपादन। यह पत्रिका पूर्ण रूप से पर्यावरण तथा प्रकृति पर केंद्रित है।