₹250
यह पुस्तक भारतवासियों का अपने देश को ईमानदार देश का आकार देने के लिए एक आह्वान है। इस पुस्तक में संकलित लेख विभिन्न क्षेत्रों के सुप्रसिद्ध भारतीय विचारकों और नायकों ने लिखे हैं, जो सभी अपने जीवन और कार्य में ईमानदारी के साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। इसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत समाज के सभी अंगों में ईमानदारी, नैतिकता और पारदर्शिता के अभाव के कारणों की चर्चा की गई है।
इन लेखों में हमारे देश की संस्थाओं में ईमानदारी, नैतिक व्यवहार और सुशासन का स्तर ऊँचा उठाने के लिए विश्वसनीय और व्यावहारिक विचार तथा दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से कुछ लेख फाउंडेशन फॉर रेस्टोरेशन ऑफ नेशनल वैल्यूज के नई दिल्ली में नवंबर 2008 में संपन्न दो दिवसीय सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए थे। इस सार-संग्रह में न केवल सम्मेलन के सार को प्रस्तुत किया गया है, बल्कि इससे भी आगे बढ़ते हुए ऐसी पहलों के लिए रूपरेखा भी प्रस्तुत की गई है, जिसे व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर अपनाकर भारत को ईमानदार राष्ट्र बनाया जा सकता है—एक ऐसा राष्ट्र जो निर्णयों में भ्रष्टाचार, बेईमानी और अपारदर्शिता से मुक्त हो।
तेजस्वी भारत के लिए सशक्त जीवन मूल्यों की आवश्यकता को रेखांकित करती पुस्तक जिसे अगर हम भारतीय अंगीकार कर लें तो देश की दशा-दिशा सुधर जाएगी।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
शुभकामना संदेश — 5
भूमिका — 9
संपादकीय — 11
आभार — 13
1. अंतर्जागरण — अरुण मेहरा — 17
2. अपनी संपूर्णता को याद रखें — अरुण वाखलू — 25
3. भारत में लोक प्रशासन — ई. श्रीधरन — 35
4. न्याय वितरण के लिए मूल्याधारित प्रणाली की रचना — एन. विट्ठल — 39
5. भारत भाग्य विधाता — ए.पी.जे. अदुल कलाम — 45
6. संसद् में संस्थागत ईमानदारी — एम. एन. वेंकटचलैया — 53
7. भ्रष्टाचार उन्मूलन तथा विवादों का समाधान — के. जी. बालकृष्णन — 60
8. शासन में नैतिकता — गोपाल गणेश — 64
9. मूल्य बनाम संस्थाएँ — जयप्रकाश नारायण — 70
10. भारत में मूल्यों की कमी और उनका समाधान — जे. एस. वर्मा — 78
11. लोकतंत्र में मूल्यों की आवश्यकता — टी. एस. कृष्णमूर्ति — 85
12. न्यायिक प्रणाली में मूल्यों की आवश्यकता — डी.आर. कार्तिकेयन — 89
13. परिवर्तन का भारतीय आधार — त्रिलोचन शास्त्री — 96
14. राष्ट्रीय मूल्यों का आह्वान — प्रत्यूष सिन्हा — 103
15. भारतीय समाज का पुनर्जागरण — फादर टी.वी. कुन्नूनकल — 112
16. परिचय : ईमानदार, मूल्याधारित समाज की रचना के लिए आवश्यक तव — भारत वाखलू — 119
17. आसान है ईमानदार बनना — मधु त्रेहन — 144
18. मूल्यों की पुनप्रर्तिष्ठा में नेतृत्व की भूमिका — लालकृष्ण आडवाणी — 148
19. विधि क्रियान्वयन में ईमानदारी — शंकर सेन — 152
20. मूल्यों पर अधारित नई राष्ट्र व्यवस्था — सोमनाथ चटर्जी — 159
21. मन और हृदय में राष्ट्रवाद जाग्रत् करें — स्वामी भूमानंद तीर्थ — 166
संपादकों और लेखकों का परिचय — 171
ई. श्रीधरन, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक, एक टेक्नोक्रेट हैं। उन्हें सन् 2008 में पद्मविभूषण और सन् 2001 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। सन् 2005 में उन्हें फ्रांस सरकार ने ‘नाइट ऑफ द लीजॅन ऑफ ऑनर’ प्रदान किया था।
भारत वाखलू, टाटा समूह के रेजीडेंट डायरेक्टर हैं। वे भारत और फ्रांस में प्रबंधन डिप्लोमा और प्रशिक्षण प्राप्त इंजीनियर हैं। उन्होंने 27 वर्षों तक टाटा की विभिन्न कंपनियों में भारत और अमेरिका में कार्य किया है। वे ‘फाउंडेशन फॉर रेस्टोरेशन ऑफ नेशनल वैल्यूज’ के महासचिव भी हैं।