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सत्य की खोज इसलिए आवश्यक है, क्योंकि सत्य ही जीवन है। आप सत्य की खोज की आवश्यकता महसूस नहीं करते तो आप जीवन से ही विमुख हैं। मानव जीवन बहुमूल्य है, क्योंकि उसमें विवेक का प्रकाश है। मानव और पशु में भोग के विषय में तो समानता दिखाई देती है, लेकिन ज्ञान के विषय में वह पशु से बेहतर है। जो मनुष्य सिर्फ भोग का जीवन जी रहा है, वह इस अंतर को समझ नहीं पाया है। जो विवेक की शक्ति को समझ गया है, वह सत्य की खोज में है, और सत्य उसे अवश्य मिलेगा।
वर्तमान में ही जीवन है और सत्य है। हम जीवन भर विचारों के बोझ के तले दबकर एक कल्पना-जगत् में जीते रहते हैं। इस असत्य संसार का अभ्यास हमें सत्य की खोज से दूर रखता है। आप अपनी असीमित शक्तियों को भूल जाते हैं। आप में सचमुच समंदर को लाँघ जाने की शक्ति है, बस सत्य को पहचानना होगा। सत्य को पहचानना और असत्य से दूरी कठिन कार्य नहीं है। आपको कुछ अभ्यासों को अपने दैनिक जीवन में आजमाना होगा। एकाग्रता, इच्छाशक्ति, आत्मबल को बढ़ाना होगा। कैसे आप अपने इन स्वाभाविक गुणों को पा सकते हैं? सही अभ्यास क्या है?सत्य की राह की बाधाओं को दूर करने के कौन-कौन से अस्त्र आपके पास मौजूद हैं? इन सारे सवालों के जवाब आपको सत्य की खोज करते हुए मिल जाएँगे। सत्य की प्राप्ति के बाद आपके सभी प्रश्नों और भटकाव का अंत हो जाता है।
विगत सोलह वर्षों से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय रूप से कार्यरत। टेलीविजन ऐंकर के रूप में भी विशिष्ट पहचान। पत्रकारिता के साथ-साथ अध्यात्म में भी गहरी रुचि; नाद ब्रह्म योग धाम के प्रचारक भी हैं। सेवा दीप संस्थान के साथ जुड़कर स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास हेतु कई कार्यक्रम भी बना रहे हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आध्यात्मिक लेखन भी करते रहे हैं। कई प्रतिष्ठित संस्थानों में युवाओं के लिए प्रेरणादायी व्याख्यान भी देते हैं। उनसे dr.praveentiwari@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।