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Satyajeet Ray Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Satyajeet Ray
Features
  • ISBN : 9789351865476
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Satyajeet Ray
  • 9789351865476
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 176
  • Hard Cover

Description

"अरे हाँ, क्षमा करें। भूमिका एक पादचारी (अर्थात् पैदल यात्री) की है। एक अन्यमनस्क, गुस्सैल पैदल यात्री। वैसे, क्या आपके पास कोई जाकेट है, जो गरदन तक बंद हो जाए?’
‘शायद एक है। क्या पुराने रिवाज की?’
‘हाँ। आप वही पहनेंगे। किस रंग की है?’
‘बादामी रंग की। लेकिन गरम है।’
‘वह चलेगी। कहानी जाड़ों के समय की है, इसलिए वह गरम जाकेट ठीक रहेगी। कल ठीक 8.30 बजे सुबह, फेराडे हाउस।’
पतोल बाबू के मन में अचानक एक महत्त्वपूर्ण सवाल उठा।
‘मैं समझता हूँ, इस भूमिका में कुछ संवाद भी होंगे?’
‘निश्चित रूप से। बोलनेवाली भूमिका है। आप पहले अभिनय कर चुके हैं, क्या यह सच नहीं है?’
‘खैर, वास्तव में, हाँ...’
—इसी संग्रह से

अधिकतर लोग सत्यजित रे को एक फिल्म निर्देशक के रूप में ही जानते हैं, पर वे उच्चकोटि के कथाकार भी थे। उनकी कहानियों में भारतीय समाज के सभी रूप उभरकर आए हैं। प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि पाठकों के मन को उद्वेलित करनेवाली हैं।

The Author

Satyajeet Ray

फिल्म निर्देशक सत्यजित रे को 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में 21 मई, 1921 को हुआ। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। अपने कॅरियर की शुरुआत इन्होंने पेशेवर चित्रकार की तरह की। बाद में इनका रुझान फिल्म निर्देशन की ओर हुआ।
अपने जीवन में 37 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्में, वृत्तचित्र और लघु फिल्में शामिल हैं। इनकी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ को कान फिल्मोत्सव में मिले ‘सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख’ पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फिल्म ‘अपराजितो’ और ‘अपुर संसार’ के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। रे फिल्म निर्माण से संबंधित कई काम खुद ही करते थे—पटकथा लिखना, अभिनेता ढूँढ़ना, पार्श्व संगीत देना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फिल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फिल्म आलोचक भी थे। रे को जीवन में कई पुरस्कार मिले, जिनमें अकादमी पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक और भारत रत्न शामिल हैं।
स्मृतिशेष : 23 अप्रैल, 1992।

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