₹300
फिल्म निर्देशक सत्यजित रे को 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में 21 मई, 1921 को हुआ। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। अपने कॅरियर की शुरुआत इन्होंने पेशेवर चित्रकार की तरह की। बाद में इनका रुझान फिल्म निर्देशन की ओर हुआ।
अपने जीवन में 37 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्में, वृत्तचित्र और लघु फिल्में शामिल हैं। इनकी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ को कान फिल्मोत्सव में मिले ‘सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख’ पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फिल्म ‘अपराजितो’ और ‘अपुर संसार’ के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। रे फिल्म निर्माण से संबंधित कई काम खुद ही करते थे—पटकथा लिखना, अभिनेता ढूँढ़ना, पार्श्व संगीत देना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फिल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फिल्म आलोचक भी थे। रे को जीवन में कई पुरस्कार मिले, जिनमें अकादमी पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक और भारत रत्न शामिल हैं।
स्मृतिशेष: 23 अप्रैल, 1992।
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अनुक्रम
1. रतन बाबू और वो आदमी — 7
2. बोंकू बाबू का दोस्त — 24
3. दो जादूगर — 38
4. पतोल बाबू फिल्म स्टार — 51
5. नील — 66
6. गणित अध्यापक, पिंक महोदय और टीपू — 80
7. बिग बिल — 95
8. अनत बाबू का खौफ — 112
9. सदानंद की छोटी सी दुनिया — 124
10. शिबू और राक्षस — 138
11. सनकी महाशय — 153
12. पीकू की डायरी — 169
फिल्म निर्देशक सत्यजित रे को 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में 21 मई, 1921 को हुआ। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। अपने कॅरियर की शुरुआत इन्होंने पेशेवर चित्रकार की तरह की। बाद में इनका रुझान फिल्म निर्देशन की ओर हुआ।
अपने जीवन में 37 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फीचर फिल्में, वृत्तचित्र और लघु फिल्में शामिल हैं। इनकी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ को कान फिल्मोत्सव में मिले ‘सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख’ पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फिल्म ‘अपराजितो’ और ‘अपुर संसार’ के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। रे फिल्म निर्माण से संबंधित कई काम खुद ही करते थे—पटकथा लिखना, अभिनेता ढूँढ़ना, पार्श्व संगीत देना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फिल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फिल्म आलोचक भी थे। रे को जीवन में कई पुरस्कार मिले, जिनमें अकादमी पुरस्कार, फिल्मफेयर पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक और भारत रत्न शामिल हैं।
स्मृतिशेष : 23 अप्रैल, 1992।