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सत्य, शाश्वत धर्म और सदाचार ऐसे गुण हैं, जिन्हें सहज भाव से अपनानेवाला मानव भी देवताओं की श्रेणी से उत्तम स्थान प्राप्त कर सकता है।
जब राजा हरिश्चंद्र के नाम-यश की चर्चा होती है और उनके साथ यदि ‘सत्यवादी’ शब्द का प्रयोग न किया जाए तो प्रतीत होता है कि इतिहास के किसी अन्य राजा का वर्णन किया जा रहा है। इसके विपरीत यदि केवल ‘सत्यवादी’ राजा का वर्णन हो तो स्पष्ट संकेत सतयुग के राजा सत्यवादी हरिश्चंद्र की ओर ही होता है। यहाँ तक कि सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र और शब्द ‘सत्यवादी’ एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। ऐसा हुआ राजा हरिश्चंद्र के द्वारा सत्य, शाश्वत धर्म और सदाचरण जैसे गुणों को अपने जीवन में उतारने से।
इस पुस्तक में राजा हरिश्चंद्र के चरित्र के विशिष्ट एवं प्रेरणाप्रद गुणों को सरल एवं सरस भाषा में सहज भाव से प्रस्तुत किया गया है।
इसे पढ़कर पाठक सत्य, निष्ठा, कर्तव्यबोध आदि गुण अपने जीवन में उतार सकें, तो पुस्तक का लेखन व प्रकाशन सफल माना जाएगा।
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अनुक्रम
सत्यवादी हरिश्चंद्र —Pgs. 7
दो शब्द —Pgs. 9
1. इंद्र की शंका —Pgs. 13
2. स्वप्न-दान —Pgs. 25
3. राज्य का परित्याग —Pgs. 36
4. दुर्गम वन-पथ पर —Pgs. 60
5. काशी के बाजार में —Pgs. 88
6. महर्षि विश्वामित्र और देवराज इंद्र —Pgs. 113
7. हरिश्चंद्र का दास-धर्म —Pgs. 120
8. सेविका तारामती —Pgs. 138
9. रोहित को सर्पदंश —Pgs. 147
10. श्मशान में तारामती —Pgs. 151
11. धर्म की विजय —Pgs. 164
गोपी कृष्ण कुँवर
जन्म : 30 दिसंबर, 1970।
शिक्षा : एम.ए., बी.जे.।
वर्ष 2000 से साक्षरता अभियान से जुड़े हैं, सामाजिक कार्यों में रुचि, विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं।
उत्कृष्ट कार्य के लिए चार बार ‘अक्षर श्री’ सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 2007 में उत्तर साक्षरता कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल द्वारा ‘सत्येन मैत्रा स्मृति साक्षरता पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
‘प्रभात खबर’ समाचार-पत्र के ब्यूरो प्रमुख, लोहरदगा आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं पी.टी.आई. के संवाददाता।
संपर्क : कुँवर भवन, अपर बाजार, लोहरदगा (झारखंड)।