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सूर्य ही पृथ्वी की समस्त ऊर्जाओं का स्रोत है । हवा सूर्य के कारण ही चलती है और पर्वतों पर जमी बर्फ सूर्य के ताप से ही पिघलती है, जिससे हमारी गंगा-यमुना जैसी नदियाँ गरमियों में भी नहीं सूखती हैं । मनुष्य ने सूर्य द्वारा दी जानेवाली ऊर्जा को उपयोगी बनाने के लिए अनेक उपकरण बनाए । एक ओर सूर्य से मिलनेवाले ताप से पानी गरम किया गया और उससे मशीनें आदि चलाई गईं तो दूसरी ओर उससे समुद्र के पानी को सुखाकर नमक तैयार किया गया ।
नवीन शोधों ने सूर्य के प्रकाश से सीधे बिजली पैदा करना सरल बना दिया । आज कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सिर्फ सौर ऊर्जा का ही उपयोग हो सकता है, जैसे-पृथ्वी का चक्कर लगा रहे उपग्रह, दूसरे ग्रहों पर जानेवाले यान इत्यादि । इसके अतिरिक्त दुर्गम और पहाड़ी इलाकों, समुद्र के बीच तेल खनन केंद्रों, छोटे निर्जन द्वीप आदि क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सौर ऊर्जा एकमात्र साधन वन सकता है या पवन ऊर्जा के साथ मिलकर विश्वसनीय और प्रभावी ऊर्जा स्रोत बन सकता है ।
प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान् लेखक ने सौर ऊर्जा से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दी हैं । पुस्तक को पढ़कर पाठकगण लाभान्वित होंगे और सौर ऊर्जा संबंधी व्यापक जानकारी से स्वयं को समृद्ध कर सकेंगे । विद्यार्थियों, शिक्षकों, लेखकों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों तथा आम पाठकों हेतु एक पठनीय और संग्रहणीय ग्रंथ ।
जन्म : 12 जनवरी, 1960 को इटावा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। सन् 1983 में रुड़की विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल मुख्य प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं।
अब तक कुल 32 पुस्तकें तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : सन् 1996 में राष्ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिंदी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखन पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिंदी लेखन पुरस्कार’।