₹500
क्या मोदी शासन के लिटमस टेस्ट को पास कर पाएँगे? क्या उनका प्रदर्शन उनके वादों के अनुरूप है?
‘सवा अरब भारतीयों का सपना’ में उदय माहुरकर ने मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल का विश्लेषण मोदी के सत्ता में आने से पहले के नीति पक्षाघात तथा भ्रष्टाचार की पृष्ठभूमि में किया है, जिससे देश को उबारने की उनके सामने कठिन चुनौती थी। शासन के प्रमुख क्षेत्रों, जैसे बुनियादी संरचना, विदेश मामले, बिजली, सामाजिक क्षेत्र, वित्त, डिजिटल प्रौद्योगिकी और कृषि पर ध्यान केंद्रित करते हुए माहुरकर ने वर्तमान सरकार के कार्य तथा प्रधानमंत्री की ओर से किए गए यादगार परिवर्तनों का वर्णन किया है। डिजिटल नवीनीकरण करना तथा बिचौलियों को जड़ से उखाड़ना प्रमुख है, जिनका परिणाम अभूतपूर्व पारदर्शिता और गरीबी पर जबरदस्त हमले के रूप में सामने आया है। उन्होंने मोदी सरकार की कुछ कमियों को गिनाने के साथ ही, उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन भी किया है।
क्या मोदी एक महान् संस्थान निर्माता बन पाएँगे, जो एक महान् राष्ट्र निर्माता के लिए आवश्यक शर्त होती है? अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण का कितना दूरगामी प्रभाव पड़ेगा? यह पुस्तक ऐसे अनेक प्रश्नों का अत्यंत व्यावहारिकता और वस्तुनिष्ठता के साथ उत्तर देती है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
प्रस्तावना — 7
लेखकीय — 11
भूमिका — 13
आभार — 35
1. हम लोग — 39
2. सर्वप्रथम भारत — 51
3. भारत का रूपांतरण — 66
4. सामूहिक जिम्मेदारी — 101
5. भारत निर्माण — 117
6. भारत और विश्व — 152
7. बैलेंस शीट का संतुलन साधना — 175
8. विमुद्रीकरण — 194
स्रोत — 207
उदय माहुरकर ‘इंडिया टुडे’ के उप-संपादक और एक राजनीतिक विश्लेषक हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी के संबंध में सटीक चुनाव अनुमान के लिए जाना जाता है। यह एक ऐसा कार्य है, जिसे वे सन् 2002 के गुजरात विधानसभा चुनावों से ही पूरे आत्मविश्वास के साथ, और अकसर धारा के विपरीत चलते हुए, निभाते आ रहे हैं। माहुरकर को प्रधानमंत्री मोदी के मामले में एक्सपर्ट माना जाता है, जिन्होंने बीते तीन दशकों से भी अधिक समय से उनके राजनीतिक तथा प्रशासनिक कॅरियर को करीब से देखा है—उस दिन से, जब 1986-87 में मोदी बीजेपी में इसके मूल संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से आए थे। दिसंबर 2015 में दिल्ली आने के बाद ‘इंडिया टुडे’ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी और उसके साथ ही संघ तथा प्रधानमंत्री कार्यालय की खबरें देते हुए माहुरकर की दक्षता बढ़ गई है। देश की राजधानी में उनके कार्यकाल ने उन्हें मोदी सरकार के विभिन्न पहलुओं पर दुर्लभ अंतर्दृष्टि दी है।