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निश्चय ही परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है और माँ उसकी प्रथम शिक्षक। बच्चों को अच्छे संस्कार देने का दायित्व सबसे पहले तो माता-पिता को ही वहन करना होता है। लेकिन औपचारिक शिक्षा का अपना महत्त्व है। आज के इस प्रतिस्पर्धापूर्ण विश्व में तो औपचारिक शिक्षा का महत्त्व और भी बढ़ता जा रहा है। दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसे बच्चों की संख्या बहुत अधिक है, जो स्कूल का मुँह भी नहीं देख पाते। बेटियों की स्थिति तो और भी बदतर है। बहुत से माता-पिता तो बेटियों को बेटों के समान शिक्षा के सुअवसर प्रदान करना निरर्थक समझते हैं। बेटा हो या बेटी, उन्हें स्कूल जाने की सुविधा प्रदान करना तो समाज का दायित्व है ही, उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना भी हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन बच्चों को स्कूल पहुँचाकर ही हमारा दायित्व पूरा नहीं हो जाता। हमें देखना होगा कि बच्चे सुशिक्षित होने के साथ-साथ सुसंस्कारित भी हों और देश एवं समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझें। अपने अधिकारों के प्रति सजग हों, लेकिन अपने कर्तव्यों की उपेक्षा कदापि न करें। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि उपदेशात्मक ढंग से गद्य में कही गई किसी बात के मुकाबले गीतात्मक ढंग से कही गई कोई बात बच्चों को सहज ही समझ में आ जाती है। प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक प्रयास है।
बच्चों को शिक्षा देकर और समाज-राष्ट्र की प्रगति में सहभागी बनाने हेतु सार्थक पुस्तक।
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अनुक्रम | |
माटी मेरे देश की | प्यारी बिटिया खूब पढ़ेगी |
1. बच्चे हिंदुस्तान के — Pg. 9 | 33. बेटी हैं शोभा हर घर की — Pg. 109 |
2. माटी मेरे देश की — Pg. 12 | 34. प्यारी बिटिया खूब पढ़ेगी — Pg. 112 |
3. हम वीर हैं वतन के — Pg. 15 | 35. मैं तो पढ़ने जाऊँगी — Pg. 115 |
4. जय-जय हिंदुस्तान की — Pg. 18 | 36. सुंदर सा स्कूल हमारा — Pg. 118 |
5. चलो सिपाही, बढ़े चलो — Pg. 21 | 37. दे, मेरा बस्ता प्यारा — Pg. 121 |
6. माँ, मुझको तलवार दे — Pg. 24 | 38. मम्मी, मेरा टिफिन लगाओ — Pg. 124 |
7. रहो सिपाही, सावधान तुम — Pg. 27 | 39. मेरी मैडम कितनी अच्छी — Pg. 127 |
8. एक नया भारत गढ़ना है — Pg. 30 | 40. मैडम कितने खेल खिलाती — Pg. 130 |
9. सब से प्यारा अपना भारतवर्ष है — Pg. 33 | 41. सीधी-सच्ची बात करूँगी — Pg. 133 |
10. शहीदों को नमन — Pg. 36 | 42. कभी किसी से नहीं लड़ूँगी — Pg. 136 |
11. मेरे भारतवर्ष ललाम — Pg. 39 | 43. आओ, मिल कर करें सफाई — Pg. 139 |
12. उठो देश के वीर सिपाही — Pg. 42 | 44. मैं भी पेड़ लगाऊँगी — Pg. 142 |
13. मातृभूमि वंदना — Pg. 45 | 45. गुड़िया, तुम्हें पढ़ाऊँगी — Pg. 145 |
14. राष्ट्रध्वजा का मान करो — Pg. 48 | 46. गुरुओं का सम्मान करूँगी — Pg. 148 |
15. अमर रहे गणतंत्र हमारा — Pg. 51 | 47. करती हूँ मैं प्रतिदिन योग — Pg. 151 |
16. दुनिया महाशति मानेगी — Pg. 54 | 48. मैं भारत की नारी हूँ — Pg. 154 |
चलो, चलें स्कूल | उत्सव |
17. चलो, चलें स्कूल — Pg. 59 | 49. दीवाली — Pg. 159 |
18. आओ खेलें, आओ गाएँ — Pg. 62 | 50. होली — Pg. 162 |
19. बच्चो, झूठ कभी मत बोलो — Pg. 65 | 51. रक्षाबंधन — Pg. 165 |
20. साथी, जागो हुआ प्रभात — Pg. 68 | 52. दशहरा — Pg. 168 |
21. पढ़-लि कर तुम बनो महान — Pg. 71 | 53. नवसंवत्सर — Pg. 171 |
22. उठो, साथियो काम करें — Pg. 74 | 54. बैसा — Pg. 173 |
23. गीत ख़ुशी के मिल कर गाओ — Pg. 77 | 55. ईद — Pg. 176 |
24. वीरो, हिंसा कभी न करना — Pg. 80 | 56. क्रिसमस — Pg. 179 |
25. दे, कभी न खोना होश — Pg. 83 | 57. 15 अगस्त — Pg. 182 |
26. कर लो जी भर कर उपकार — Pg. 86 | 58. 26 जनवरी — Pg. 185 |
27. आओ, हम भी पेड़ लगाएँ — Pg. 89 | 59. 2 अतूबर — Pg. 187 |
28. मिलजुल कर हम रहें प्यार से — Pg. 92 | 60. बाल दिवस (14 नवंबर) — Pg. 189 |
29. बच्चो, हरदम स्वस्थ रहो — Pg. 95 | 61. शिक्षक दिवस (5 सितंबर) — Pg. 191 |
30. कभी न जल बरबाद करो — Pg. 98 | 62. विज्ञान दिवस (28 फरवरी) — Pg. 194 |
31. सदा सत्य पर अड़ने वाले — Pg. 101 | 63. पर्यावरण दिवस (5 जून) — Pg. 196 |
32. खेल- खेल में कभी न रोना — Pg. 104 | 64. हिंदी दिवस (14 सितंबर) — Pg. 199 |