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आज का युग विज्ञान का युग है । विज्ञान की निरंतर खोजों से मानव प्रगति के सोपान- पर-सोपान चढ़ता चला जा रहा है । ब्रह्मांड के सब रहस्यों को वह विज्ञान के सहारे जान लेना चाहता है । इम संबंध में बड़े-बड़े अनुसंधान कार्य हो रहे हैं । विज्ञान आज विभिन्न रूपों में मानव की सेवा का रहा है । विज्ञान-प्रदत्त अनेकानेक वरदानों- जैसे बिजली, आवागमन के द्रुतगामी साधन, दुरभाष, दूरदर्शन, इंटरनेट, फैक्स, अणु-परमाणु ऊर्जा आदि-से मानव जीवन में कई गुना सुविधा, व्यवस्था और गति आ गई है; लेकिन मानव की ज्ञान-पिपासा अभी शांत नहीं हुई है ।
विज्ञान का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है । जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं, जो इससे प्रभावित न हो । प्रस्तुत कोश में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी को विशेष रूप से शामिल किया गया है । इस प्रकार आदिकाल से लेकर आज तक जो भी वैज्ञानिक एवं प्राविधिक प्रगति हुई है, उससे प्रत्येक व्यक्ति को परिचित होना चाहिए । इस विविध ज्ञान राशि को सुलभ कराने के उद्देश्य से ही प्रस्तुत ' सचित्र विज्ञान विश्वकोश ' की रचना की गई है । पाठकगण विषय को सुविधापूर्वक और आसानी से समझ सकें- इस हेतु आवश्यकतानुसार आकर्षक चित्र भी दिए गए हैं ।
विश्वास है, सुधी पाठक प्रस्तुत कोश का अवगाहन तथा समुचित ज्ञानवर्द्धन कर अपनी अनेकानेक जिज्ञासाओं का शमन कर सकेंगे ।
डॉ. शिवगोपाल मिश्र ( जन्म : सन् 1931) विज्ञान-जगत् के ख्याति -प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. ( कृषि रसायन) तथा डी. फिल्. की उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद इसी विश्वविद्यालय में 1956 से 1991 तक क्रमश: लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर और निदेशक पदों पर अध्यापन और शोधकार्य का निर्देशन किया । सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व, फास्फेट, पादप रसायन, अम्लीय प्रदूषण, जैव उर्वरक, भारतीय कृषि का विकास, ऊर्जा, जीवनोपयोगी सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व नामक पुस्तकों का प्रणयन आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । आपकी कई पुस्तकें पुरस्कृत भी हो चुकी हैं । आपने मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के विषय में अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित किए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है । आपने ' भारत की संपदा ' का -संपादन तथा ' रसायन विज्ञान कोश ' का लेखन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से सम्मानित किया गया । विज्ञान परिषद् तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉयल साइंस के आप आजीवन सदस्य हैं ।