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किसी संगठन में आप आगे बढ़ते हैं तो तकनीकी कौशल गौण हो जाते हैं, जबकि लीडरशिप अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है। यह एक उलटा संबंध है, क्योंकि जब कर्ता अधिकार के नए पदों पर प्रगति करता है तो उसे अपनी विशेषज्ञता के विशिष्ट क्षेत्र की तुलना में नेतृत्व क्षमता पर अधिक भरोसा करने की जरूरत पड़ती है और दूसरों के माध्यम से परिणाम हासिल करने पड़ते हैं। यानी नेतृत्वकर्ता के रूप में आपकी विशेषज्ञता दूसरे स्थान पर चली जाती है। साफ है कि यदि आप नेतृत्वकर्ता के रूप में सफल होना चाहते हैं तो आपको अपने आसपास के लोगों को निरंतर प्रेरित व प्रोत्साहित भी करना पड़ेगा।
अपने आस-पास या अपने अधीन कर्मचारियों या अधिकारियों से रिलेशनशिप को विकसित और मजबूत बनाने वाले व्यावहारिक मंत्रों को बताती अत्यंत रोचक व पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम
भूमिका—7
1. सफलता में संबंधों का महव—13
2. दूसरों को कैसे समझें?—41
3. दूसरों को कैसे प्रोत्साहित करें?—58
4. लोगों के साथ कैसे जुड़ें?—78
5. बेहतर श्रोता कैसे बनें?—96
6. संबंधों का रसायन-शास्त्र —117
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप ठाकुर को भारत के प्रमुख मीडिया समूहों (दिल्ली प्रेस, अमर उजाला व दैनिक जागरण) में विभिन्न संपादकीय पदों पर काम करने और विविध विषयों पर लिखने व विश्लेषण प्रस्तुत करने का दो दशक से भी अधिक समय का अनुभव प्राप्त है। उनकी अंग्रेजी में प्रकाशित कृतियाँ हैं : ‘टाटा नैनो : द पीपल्स कार’, ‘कैरीइंग धीरूभाई’, ‘विजन फॉरवर्ड : मुकेश अंबानी’, ‘द शाइनिंग स्टार ऑफ अमेरिका एंड द वर्ल्ड : बराक ओबामा’, ‘द किंग ऑफ स्टील : लक्ष्मी एन. मित्तल’, ‘अन्ना हजारे : द फेस ऑफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन’, ‘एंजेलीना
जोली : इज शी द मोस्ट पॉवरफुल सेलिब्रिटी’ और ‘टाइगर इन द वुड्स : द स्टोरी ऑफ नं. 1 स्पोर्ट्स-ब्रांड टाइगर वुड्स’।