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हर व्यक्ति सफल होना चाहता है, यह उसका प्राकृतिक गुण या स्वभाव है। मनुष्य की जीव वैज्ञानिक संरचना ही ऐसी है, जो उसे कठिन परिश्रम करने और उपलब्धियों या सफलताओं के आनंद के लिए प्रेरित करती है। फिर भी अधिकतर लोग सफल क्यों नहीं हो पाते? वे अपने प्राकृतिक गुणों का उपयोग क्यों नहीं कर पाते? वास्तव में सफलता की स्वाभाविक इच्छा रखनेवाले अधिकतर लोगों की समस्या यह नहीं है कि वे सफल नहीं हो सकते, बल्कि उनकी सफलता की राह की सबसे बड़ी बाधा है कि वे सफलता का सही अर्थ नहीं निकाल पाते। वे समझ ही नहीं पाते कि वास्तव में सफलता है क्या?
वास्तव में सफलता किसी लक्ष्य तक पहुँचना या उसे हासिल करना नहीं है, बल्कि ऐसे काम करना या ऐसे रास्ते पर चलना है, जिससे खुशी व परिपूर्णता की अनुभूति हो। जिस कार्य को करने में हमें ऐसी अनुभूति होती है, जिसके बदले में हम किसी और फल की अपेक्षा नहीं करते।
सफलता की इस अनंत यात्रा पर चलनेवालों को दूसरों के प्रोत्साहन या पुरस्कार की भी अपेक्षा नहीं होती है, क्योंकि उनका सबकुछ खुशी व परिपूर्णता की अनुभूति ही होती है। इससे यह भी पता चलता है कि सफलता की यात्रा पर चलने का वास्तविक अर्थ व्यक्ति विशेष द्वारा अपनी अनंत संभावनाओं को प्रकट करने की यात्रा है। और सफलता की यह यात्रा अभी और यहीं शुरू की जा सकती है, बशर्ते कि आप सचमुच सफल होना चाहते हैं।
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अनुक्रम
भूमिका—7
1. वास्तव में ‘सफलता’ है या? —11
2. सफलता में सपनों का महव—34
3. सफलता में विफलता की भूमिका—62
4. सफलता का मौलिक गुण—82
5. सफलता की अंतिम तैयारी—104
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप ठाकुर को भारत के प्रमुख मीडिया समूहों (दिल्ली प्रेस, अमर उजाला व दैनिक जागरण) में विभिन्न संपादकीय पदों पर काम करने और विविध विषयों पर लिखने व विश्लेषण प्रस्तुत करने का दो दशक से भी अधिक समय का अनुभव प्राप्त है। उनकी अंग्रेजी में प्रकाशित कृतियाँ हैं : ‘टाटा नैनो : द पीपल्स कार’, ‘कैरीइंग धीरूभाई’, ‘विजन फॉरवर्ड : मुकेश अंबानी’, ‘द शाइनिंग स्टार ऑफ अमेरिका एंड द वर्ल्ड : बराक ओबामा’, ‘द किंग ऑफ स्टील : लक्ष्मी एन. मित्तल’, ‘अन्ना हजारे : द फेस ऑफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन’, ‘एंजेलीना
जोली : इज शी द मोस्ट पॉवरफुल सेलिब्रिटी’ और ‘टाइगर इन द वुड्स : द स्टोरी ऑफ नं. 1 स्पोर्ट्स-ब्रांड टाइगर वुड्स’।