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जिन दिनों श्रीमती रंजना चितले वीर तात्या टोपे के संदर्भ तलाश रही थीं, तब यह प्रश्न मेरे मन में बार-बार आया कि इन्होंने शोधात्मक लेखन के लिए तात्या टोपे को ही क्यों चुना? जब मैंने रंजनाजी के परिवार के बारे में जाना तो मुझे पता चला कि इनके परिवार का तात्या टोपे और तात्या टोपे की जीवनधारा से पीढि़यों का नाता है। रंजनाजी के पूर्वज तेलंगाना के मूल निवासी थे। अन्य लोगों के साथ इनके पूर्वजों को
भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू पदपादशाही के सशक्तीकरण के काम में लगाया था। उन्हें सात पीढ़ी पहले पाँच गाँव की जागीर देकर पीलूखेड़ी में बसाया गया था। पारिवारिक वृत्तांत के अनुसार 1857 की क्रांति के अमर नायक नाना साहब पेशवा ने अपने जीवन की अंतिम साँस इसी स्थान पर ली थी। वहाँ उनकी समाधि बनी है। इसी परिवार ने अंतिम समय में उनकी देखभाल की थी। सिपाही बहादुर सरकार के क्रांतिकारी आंदोलन में इस परिवार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और 1857 की क्रांति के सेनानियों को पीलूखेड़ी के शास्त्री परिवार से रोटियाँ बनकर जाती थीं। इसी शास्त्री परिवार में जन्मी हैं रंजना, जो विवाह के बाद चितले हो गईं। मुझे लगता है, ऐसी ही प्रज्ञा स्मृति से रंजनाजी वीर तात्या टोपे के व्यक्तित्व अन्वेषण में लग गईं। इस पुस्तक में उन्होंने वे तथ्य जुटाए हैं, जो तात्या टोपे से संबंधित अन्य विवरणों में या तो मिलते नहीं या सर्वदा उपेक्षित रहे।
—डॉ. सुरेश मिश्र
इतिहासकार एवं लेखक
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अनुक्रम
प्राक्कथन —Pgs. 5
तात्या के उदय का भारत —Pgs. 11
प्रारंभिक जीवन और विस्तार —Pgs. 15
डलहौजी का अभियान —Pgs. 23
1857 : एक सैनिक का सेनापति में रूपांतरण —Pgs. 28
सर्वकालीन श्रेष्ठ राजनीति का नायक, योद्धा और महानायक —Pgs. 65
तात्या का मालवा अभियान " छह विराट् सेनाओं के साथ संघर्ष —Pgs. 111
जैसा जीवन वैसा विसर्जन —Pgs. 136
शिवपुरी में मेजर मीड की अदालत में तात्या टोपे का वक्तव्य —Pgs. 144
आधारभूत ग्रंथ —Pgs. 154
रंजना चितले
जन्म : ग्राम पीलूखेड़ी, जिला राजगढ़, (म.प्र.)।
शिक्षा : स्नातकोत्तर-बायोसाइंस (विशेषज्ञता जैव रसायन), पत्रकारिता, यौगिक साइंस। देशभर के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में विश्लेषणात्मक लेख, आलेख, कथा, कविता, कहानी का नियमित लेखन।
शोध : स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं की वैचारिक और सक्रिय भागीदारी, गुना व अशोक नगर जिले का स्वाधीनता संग्राम, महिला नेतृत्व।
कृतियाँ : कहानी-संग्रह—आहटों के दर्द, रिश्तों के अर्थ, आजाद कथा, नाटक— जनयोद्धा, सिपाही बहादुर, झलकारी।
प्रकाशनाधीन : उपन्यास ‘साथ’, कहानी-संग्रह ‘आधा सच’।
मंचित नाटक : महानाट्य : राष्ट्रपुरुष अटल, जनयोद्धा-टंट्या भील, रानी दुर्गावती, अपनी बात, हिंद के आजाद, अजीजन, भीमा नायक, नर्मदा : नृत्य नाटिका, 1857 का मुक्ति संग्राम, झलकारी, सिपाही बहादुर, अपना जतन, चलो पढ़ाएँ, अपनी जीत, कराधान।
सम्मान : मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कार, मीर अली पुरस्कार।
संप्रति : संपादक, मध्य प्रदेश पंचायिका—पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्य प्रदेश की मासिक पत्रिका।