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कामयाब कॅरियर और आरामदेह जीवनशैली से संतुष्ट वेद अरोड़ा की जिंदगी मस्त चल रही है। किसी को डेट करने या शादी करने का उसका कोई इरादा नहीं, और यही बात हर बात में दखल देनेवाले उसके परिवार को परेशान कर रही है।
सब ठीक चल रहा था कि अचानक एक दिन, उसका सामना अकीरा से हुआ और तबाही मच गई। उसकी वजह से वेद की दुनिया में तूफान खड़ा हो गया। अकीरा में जो कुछ है, उससे वेद नफरत करता है और वेद की दुनिया में ऐसा कुछ नहीं, जिसमें अकीरा की दिलचस्पी हो। तो पुरुष और स्त्री की यह जंग क्या जारी रहेगी या वेद आखिरकार हथियार डाल देगा और शादी का कहावती लड्डू खा लेगा?
चैताली हातीसकर
उन पर जब काल्पनिक किरदारों का भूत सवार नहीं होता, जब उनका मस्तिष्क काल्पनिक हालातों को लेकर दिन में सपने नहीं देख रहा होता, और जब वह कॉफी के कप नहीं गटक रही होतीं, तब चैताली लिखती हैं।
स्कूलों में निबंध लिखने से शुरुआत कीं, तो फिर उसके बाद अपने शब्दों से एक अलग ही दुनिया खड़ी करने में उन्हें खूब आनंद आने लगा। ‘शादी का लड्डू’ पहली पुस्तक है, जिसे प्रकाशित करने का साहस उन्होंने जुटाया है।
इ-मेल : thatmumbaichic@gmail.com