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"प्रख्यात वैयाकरण एवं भाषाविद् श्री कमलेश कमल की शब्द-साधना ने 'भाषा संशय-शोधन' के रूप में पाठकों का भरपूर प्रेम पाया और 'शब्द संधान' उसी साधना का अगला चरण है। हिंदी में व्याकरण और शब्दकोशों की शताधिक पुस्तकें बाजार में उपलब्ध होते हुए भी सुधी पाठकों के मन में शब्दों के शुद्ध प्रयोग को लेकर अनेक प्रश्न उठते हैं।
शब्दकोश से किसी शब्द का अर्थ तो ज्ञात हो सकता है, परंतु यह समझना कठिन होता है कि उस शब्द का वही अर्थ क्यों है, उसका मूल क्या है, उसकी निर्मिति कैसे हुई, अंग्रेजी में उसका समरूप शब्द क्या है और वह अपने पर्यायवाची शब्दों से किस प्रकार भिन्न है। 'शब्द संधान' इन सभी बिंदुओं पर विस्तार और प्रामाणिकता के साथ प्रकाश डालती है।
यह पुस्तक प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों, प्राध्यापकों और मीडियाकर्मियों के लिए शब्द सामर्थ्य को समृद्ध करने के साथ-साथ शब्दों के प्रति संवेदनशीलता और सूक्ष्म-दृष्टि विकसित करने का सशक्त साधन सिद्ध होगी।"