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"इस संकलन के साठ लेखों में से कुछ का जिक्र आवश्यक है, यदि संदर्भ और सामयिकता, प्रासंगिकता स्पष्ट करनी हो। मसलन 'नेहरू और अंबेडकर सेक्युलर और सोशलिस्ट संविधान के पक्ष में नहीं थे।' विडंबना ही तो है कि आज इन्हीं के वंशज और अनुयायी इसके पक्ष में डुग्गी पीट रहे हैं। वकालत कर रहे हैं। इंदिरा गांधी ने तानाशाह के अधिकार समेटकर, क्लीव संसद् से इमरजेंसी दौर में संविधान का संशोधन पारित कराकर इन दोनों शब्दों को डाल दिया था। यह दस्तावेजी है। एक मौजें, मगर बहुचर्चित और विवादित विषय पर लेख है ' 'गांधी' सरनेम का दूषित तथा भ्रामक उपयोग।' इतालवी सोनिया माइनो अब 'गांधी' कहलाती हैं।
रोम और कैंब्रिज में रहीं। उनके पिता स्व. स्टेफानो मियानो इतालवी फासिस्ट तानाशाह बेनिटो मुसलिनी की सेना में सिपाही थे, जो हिटलर की नाजी सेना के साथ मॉस्को में जोसेफ स्टालिन की लाल सेना से लड़े थे। युद्धबंदी बनाए गए थे। जर्मनी की पराजय के बाद रिहा हुए थे। सोनिया के ससुर फिरोज जहाँगीर घांडी पारसी थे। उनके पूर्वज ईरान से भारत आए थे। इंदिरा गांधी से प्रेम-विवाह किया था। महात्मा गांधी काठियावाड़ के गुजराती वणिक थे। उनका सरनेम इंदिरा गांधी ने कब्जिया लिया। यह जाना-माना इतिहास है। शेष लेख अपने हिसाब से पाठकों को अवश्य दिलचस्प लगेंगे। सामग्री भी विस्तृत शोध और दस्तावेजों पर आधारित है।"